Haryana new CM Nayab Singh Saini: चुनाव के ऐन वक्त पहले मुख्यमंत्री बदलने के उत्तराखंड और गुजरात के फार्मूले को बीजेपी ने हरियाणा में भी लागू कर दिया है। राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनाव के पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भाजपा ने विदाई कर दी। संघ से जुड़े मनोहर लाल खट्टर की जगह पर अब नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। मंगलवार को विधायक दल की मीटिंग में नायब सिंह सैनी को नेता चुना गया। इसके बाद 54 वर्षीय सैनी ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की है।
कुरुक्षेत्र के सांसद हैं नायब सिंह सैनी
ओबीसी चेहरा नायब सैनी कुरुक्षेत्र से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं। बीते साल अक्टूबर में उनको राज्य बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया था। बताया जाता है कि वह खट्टर के करीबी माने जाते हैं लेकिन अब उनकी जगह लेंगे। मनोहर लाल खट्टर और उनके मंत्रिपरिषद के इस्तीफा के बाद कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ की मौजूदगी में विधायक दल ने नेता चुना। दरअसल, विधायक दल की मीटिंग में पर्यवेक्षकों ने यह साफ तौर पर कहा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक नया चेहरा के साथ उतरना चाहती है ताकि राज्य में जनता के विरोध को कुछ शांत किया जा सके और फिर सत्ता हासिल की जा सके।
गुजरात और उत्तराखंड का फार्मूला अपनाया
दरअसल, बीजेपी ने हरियाणा में भी गुजरात और उत्तराखंड का फार्मूला अपनाया है। गुजरात में भी विधानसभा चुनाव के ऐन पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री को बदल दिया था और उत्तराखंड में भी चुनाव के पहले मुख्यमंत्री को बदलकर चुनाव में गई। इससे बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर को दबाने में मौका मिला और दोनों राज्य में जीत हासिल कर ली। अब हरियाणा में भी सत्ता विरोधी लहर को दबाने के लिए बीजेपी ने मास्टर स्ट्रोक अपना खेला है। हालांकि, बीजेपी का यह फार्मूला कर्नाटक में विफल रहा था। वहां भी 2023 के चुनाव के लिए बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, इसका उल्टा असर हुआ और कांग्रेस ने आश्चर्यजनक जीत दर्ज की।
चर्चित चेहरों की बजाय अनजान चेहरे पर फोकस
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यों की कमान देने के अपने एक दूसरे रणनीति पर भी काम किया है। दरअसल, वह चर्चित चेहरों की बजाय कम ज्ञात चेहरों को सामने लाती है ताकि जनता में सत्ता विरोधी लहर से निजात मिले ही पार्टी में गुटबंदी भी न हो। सैनी भी ओबीसी चेहरा होने के साथ बहुत लाइमलाइट में नहीं रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तरह यहां भी बड़े चेहरों को दरकिनार कर बीजेपी ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाई है।