November 23, 2024
Integral Coach Factory : दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्ट्री में कैसे बनते हैं ट्रेन के डिब्‍बे?

Integral Coach Factory : दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्ट्री में कैसे बनते हैं ट्रेन के डिब्‍बे?​

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach factory) में 170 से अधिक प्रकार के कोच बनते हैं. इसमें वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) के शानदार कोच भी शामिल है. साथ ही यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्‍ट्री है.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach factory) में 170 से अधिक प्रकार के कोच बनते हैं. इसमें वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) के शानदार कोच भी शामिल है. साथ ही यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्‍ट्री है.

आपने ट्रेन का सफर तो खूब किया होगा, लंबी यात्राओं का आनंद भी जरूर उठाया होगा, लेकिन इसके साथ ही आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि ट्रेनों के डिब्बे कैसे बनते हैं और कहां बनते हैं? आपने शायद ही ट्रेन के किसी कोच को निर्माण की अवस्‍था में देखा हो. हालांकि हमारे सहयोगी पल्लव मिश्रा ने चेन्नई के की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach factory) का दौरा किया और यह जानने की कोशिश की कि वंदे भारत (Vande Bharat) सहित तमाम ट्रेनों के डिब्बे कैसे बनते हैं.

चेन्नई शहर के पैराम्बुर में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री स्थित है. यहां आईसी कोच, एलएचबी कोच, मेट्रो कोच, ईएमयू, डीएमयू और मेमू सहित 170 से अधिक प्रकार के कोच बनते हैं. इसमें वंदे भारत ट्रेन के कोच भी शामिल है, जो भारतीय रेलवे की नई रफ्तार की परिभाषा लिख रही है.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में कैसे होता है काम?

आईसीएफ में दो मुख्य डिवीजन हैं. पहला शेल डिवीजन और दूसरा फर्निशिंग डिवीजन. शेल डिवीजन में 14 अलग-अलग यूनिट शामिल हैं, जो मिलकर एक रेल कोच के ढांचे का निर्माण करते हैं. डिब्बे के निर्माण के बाद इसे व्हील सेट पर रखा जाता है.

फर्निशिंग डिवीजन में आठ अलग-अलग यूनिट शामिल हैं. ये यूनिट डिब्बे के अंदर की फर्निशिंग, बाहर की पेंटिंग, डिब्बे में लाइट का काम और डिब्बे की अन्य टेस्टिंग के लिए जिम्मेदार हैं.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री की क्यों पड़ी जरूरत?

आजादी के बाद सरकार भारतीय रेलवे के बढ़ते यातायात के बावजूद रेल के डिब्बों का इंपोर्ट कम करना चाहती थी. इसीलिए साल 1949-50 के रेलवे बजट में तत्कालीन परिवहन और रेलवे मंत्री एन. गोपालस्वामी अयंगर ने भारत में एक रेलवे कोच फैक्ट्री स्थापित करने के इरादे की घोषणा की.

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था उद्घाटन

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री सबसे शुरुआती प्रोडक्शन यूनिट में से एक है. इसका निर्माण 7 करोड़ 47 लाख रुपये की लागत से किया गया था. कारखाने का उद्घाटन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था और 2 अक्टूबर 1955 को इसका पहला कोच तैयार किया गया था. फर्निशिंग डिवीजन का उद्घाटन 2 अक्टूबर 1962 को किया गया.

दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्ट्री

ICF दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्‍ट्री है. 2020 की शुरुआत में कंपनी हर साल 4000 से अधिक कोच बनाती है. जून 2024 तक ICF ने 75 हजार कोच तैयार कर दिए थे, इनमें वंदे भारत के 69वें रेक का हिस्सा बने कोच भी शामिल हैं.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के सीनियर सेक्शन इंजीनियर किशोर कुमार ने कहा, “हम यहां वंदे भारत कोच का निर्माण कर रहे हैं. हम यहां हर महीने 5 से 6 ट्रेनों का निर्माण कर रहे हैं. इस वक्त 78 रैक का काम चल रहा है. 70 रैंक अब तक हम डिस्पैच कर चुके हैं जो विभिन्न जोनों में चल रही हैं.”

यहां से दूसरे देशों में भी भेजे जा रहे हैं कोच

इस फैक्ट्री का स्वामित्व और संचालन भारतीय रेलवे के पास है और यह भारतीय रेलवे की पांच रैक प्रोडक्शन यूनिट में सबसे पुरानी है. यहां बन रहे कोच न सिर्फ भारत में उपयोग हो रहे हैं बल्कि दूसरे देशों को भी भेजे जा रहे हैं. यहां से सबसे पहले साल 1967 में थाईलैंड को 47 बोगियां भेजी गई थीं और तब से फैक्ट्री ने अंगोला, बांग्लादेश, मोजाम्बिक, म्यांमार, नेपाल, नाइजीरिया, फिलीपींस, श्रीलंका, ताइवान तंजानिया, युगांडा, वियतनाम और जाम्बिया सहित 13 से अधिक अफ्रीकी-एशियाई देशों में 875 बोगियों और कोचों का एक्सपोर्ट किया है.

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