Income Tax Return Filing Last Date 2024: बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBDT को सेक्शन 87A के तहत एलिजिबल टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइलिंग की समयसीमा बढ़ाने का निर्देश दिया .
बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से अपडेटेड और बिलेटेड आयकर रिटर्न (Belated ITR Filing Deadline 2024) दाखिल करने की समय सीमा 15 जनवरी, 2025 तक बढ़ाने के लिए कहा है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBDT को सेक्शन 87A के तहत एलिजिबल टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइलिंग की समयसीमा बढ़ाने का निर्देश दिया .
क्या है सेक्शन 87A?
सेक्शन 87A का उद्देश्य इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स, खासकर कम आय वर्ग के लोगों को राहत प्रदान करना है. यह उन व्यक्तियों को टैक्स छूट देता है जिनकी कुल टैक्सेबल इनकम पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत ₹5 लाख तक और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत ₹7 लाख तक है.
मामला क्या है?
‘द चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स’ द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) में यह तर्क दिया गया कि 5 जुलाई को अपडेट किए गए फाइलिंग यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ने टैक्सपेयर्स को मनमाने ढंग से आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 87A के तहत छूट के दावे से वंचित कर दिया. याचिका में कहा गया कि असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए रिटर्न फाइलिंग में इस्तेमाल सॉफ्टवेयर में की गई ये बदलाव अवैध हैं.
हाईकोर्ट का आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, “केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को निर्देश दिया जाता है कि आयकर अधिनियम की धारा 119 के तहत तुरंत आवश्यक अधिसूचना जारी करें और 31 दिसंबर 2024 तक रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए समयसीमा कम से कम 15 जनवरी 2025 तक बढ़ाएं. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सेक्शन 87A के तहत छूट के पात्र सभी टैक्सपेयर्स को उनकी वैधानिक अधिकारों का पालन करने का अवसर दिया जाए.”
नए डेडलाइन को चूकने पर क्या होगा?
यदि कोई टैक्सपेयर्स 2023-24 के लिए ITR फाइल करने की नई समयसीमा को भी चूक जाता है, तो कई तरह की परेशानी हो सकती है. जुर्माना बढ़ सकता है – देरी से फाइलिंग पर जुर्माना ₹10,000 तक हो सकता है. लाभ का नुकसान – जैसे व्यापार/प्रोफेशन से होने वाले नुकसान और पूंजीगत लाभ को आगे ले जाने का मौका खत्म हो जाएगा. ब्याज का भुगतान – धारा 234A के तहत हर महीने के लिए 1% ब्याज जुड़ता रहेगा.
लेट रिटर्न फाइल करते समय ध्यान देने वाली जरूरी बातें
लेट फीस:
₹5 लाख से अधिक आय वालों के लिए ₹5,000 की लेट फीस. ₹5 लाख से कम आय वालों के लिए ₹1,000 की लेट फीस. यदि आय कर योग्य सीमा से कम है, तो कोई लेट फीस नहीं लगेगी.
लॉस कैरी फॉरवर्ड नहीं: व्यवसाय/प्रोफेशन और पूंजीगत लाभ से होने वाले नुकसान को आगे ले जाने की अनुमति नहीं होगी.
टैक्स छूट: धारा 80IA, 80IB जैसे कुछ विशेष कटौतियां भी लागू नहीं होंगी.
टैक्स रेजीम में बदलाव नहीं: लेट रिटर्न फाइल करते समय पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव की अनुमति नहीं होगी.
यदि समय रहते ITR फाइल कर दी जाए, तो इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता है. इसलिए टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे हाईकोर्ट द्वारा बढ़ाई गए ,समयसीमा का लाभ उठाएं और समय पर अपना रिटर्न दाखिल करें.
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