Kedarnath Rope Way Project: आने वाले दिनों में केदारनाथ जाना आसान हो जाएगा. बुधवार को मोदी कैबिनेट ने केदारनाथ रोप-वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. यह रोप-वे कैसे काम करेगा? इसकी तकनीक कैसी है? जानिए इस स्टोरी में.
Kedarnath Rope Way Project: 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में शामिल केदारनाथ का दर्शन-पूजन करना हर सनातनी की आकांक्षा होती है. लेकिन 11968 फीट पर स्थित केदारनाथ तक जाना काफी मुश्किलों भरा है. ऐसे में चाह कर भी बहुत लोग यहां नहीं जा पाते. लेकिन आने वाले दिनों में केदारनाथ तक जाना आसान हो जाएगा. सोनप्रयाग से केदारनाथ की लगभग 12.9 किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई जो अभी लगभग 8-9 घंटे में पूरी होती है, वो मात्र 36 मिनट में पूरी होगी. क्योंकि मोदी कैबिनेट ने बुधवार को केदारनाथ रोप-वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. यह प्रोजेक्ट कैसे काम करेगा? इसकी तकनीक क्या होगी? जानिए इस स्टोरी में.
गौरीकुंड से केदारनाथ की 16 किमी की चढ़ाई चुनौतीपूर्ण
केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा में गौरीकुंड से 16 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है. अभी इसे पैदल या टट्टू, पालकी और हेलीकॉप्टर द्वारा तय किया जाता है. प्रस्तावित रोप-वे की योजना मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने और सोनप्रयाग तथा केदारनाथ के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है.
उल्लेखनीय हो कि केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. चार धाम यात्रा के समय केदारनाथ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है.
केदारनाथ में हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
यह मंदिर साल में अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दीपावली (अक्टूबर-नवंबर) तक लगभग 6 से 7 महीने तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है. इस मौसम के दौरान सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर रोप-वे परियोजना के निर्माण को मंजूरी दे दी है.
केदारनाथ रोप-वे प्रोजेक्ट परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (DBFTO) मोड पर 4,081.28 करोड़ रुपये की कुल पूंजी लागत पर विकसित किया जाएगा.
3-S टेक्नोलॉजी पर बनेगा रोप-वे
बुधवार को कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रोप-वे प्रोजेक्ट की तकनीक पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह रोप-वे 3-S टेक्नोलॉजी वाला होगा. इसमें तीन केबल होंगे. एक केबल- हालेज का काम करेगा. दो केबल सर्पोट का काम करेगा.
मिनी बस जैसा होगा रोप-वे का गंडोला
रोप-वे का गंडोला (जिसमें यात्री सवार होकर मंदिर तक पहुंचेंगे) अपने आप में एक मिनी बस जैसा है. इसमें 36 लोगों के बैठने की जगह होगी. यह बहुत सेफ टेक्नोलॉजी है. ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बड़े टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट के साथ मिलकर इसे तैयार किया गया है. दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत काम काम आएगी.
प्रतिदिन 18 हजार यात्रियों को ले जाएगा रोप-वे
रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित होगा. इसकी डिजाइन क्षमता 1,800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा (पीपीएचपीडी) होगी, जो प्रति दिन 18,000 यात्रियों को ले जाएगी.
8-9 घंटे की दूरी मात्र 36 मिनट में होगी पूरी
रोपवे परियोजना केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए वरदान होगी क्योंकि यह पर्यावरण-अनुकूल, आरामदायक और तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और एक दिशा में यात्रा का समय लगभग 8 से 9 घंटे से घटाकर लगभग 36 मिनट कर देगी. रोपवे परियोजना निर्माण और संचालन के साथ-साथ आतिथ्य, यात्रा, खाद्य और पेय पदार्थ (एफ एंड बी) और पर्यटन जैसे संबद्ध पर्यटन उद्योगों में पूरे वर्ष रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराएगी.
रोपवे परियोजना का विकास संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, पहाड़ी क्षेत्रों में लास्ट मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने और तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
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