What is CAA: लोकसभा चुनाव 2024 का पदचाप सुनाई देने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर राहुल गांधी व अन्य क्षेत्रीय दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। केंद्र सरकार लगातार घोषणाएं कर रही है। गठबंधन बनाने, दल-बदल का भी खेल जोरों पर है। इन चुनावी तैयारियों के बीच केंद्र सरकार कभी भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को जारी करने की तैयारी में है। गृह मंत्रालय ने फूलप्रूफ तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि अगले महीने केंद्र सरकार अधिसूचना जारी करेगा। नोटिफिकेशन के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
CAA के ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार किया जा चुका है और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ड्राई रन पहले ही किया जा चुका है। सूत्रों ने कहा कि CAA इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं।
अमित शाह का दावा-चुनाव के पहले लागू करेंगे सीएए कानून
गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार कह चुके हैं कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने CAA पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। हालांकि सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है।
2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका
राज्यसभा में 11 दिसंबर 2019 को सीएए को पास कराया गया था। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था। इस बिल के पेश होने के बाद देश भर में दंगे भड़क उठे थे। पचास से अधिक जानें इन दंगों में जा चुकी है।
पुराने कानून में किया गया बदलाव
2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। इन बदलावों में भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना, शामिल किया गया। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी।
हिंदू शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
CAA के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।
नागरिकता के लिए आवेदन के लिए क्या प्रक्रिया होगी?
सीएए के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं होंगे, तब भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है।
अवैध रूप से रहने वालों के लिए क्या?
CAA विदेशियों को निकालने के बारे में नहीं है। इसका गैरकानूनी शरणार्थियों को निकालने से लेना-देना नहीं है। ऐसे शरणार्थियों के लिए विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 पहले से लागू हैं। दोनों कानूनों के तहत किसी भी देश या धर्म के विदेशियों का भारत में प्रवेश या निष्कासन किया जाता है।
सीएए को अब तक क्यों टालती रही सरकार?
भाजपा शासित असम-त्रिपुरा में सीएए को लेकर आशंकाएं रही हैं। सबसे पहले विरोध भी असम में हुआ। सीएए में व्यवस्था है कि जो विदेशी 24 मार्च 1971 से पहले असम आकर बस गए, उन्हें नागरिकता दी जाए। इसके बाद बांग्लादेश अलग देश बन गया था।
CAA को लेकर लोगों को क्या थी आशंका ?
सीएए को देश में एनआरसी यानी नेशनल सिटीजनशिप रजिस्टर बनने की सीढ़ी के तौर पर देखा गया। लोगों को आशंका थी कि विदेशी घुसपैठिया बताकर बड़ी संख्या में लोगों को निकाल बाहर किया जाएगा। पड़ोसी देश बांग्लादेश में आशंका व्यक्त की गई कि सीएए के बाद एनआरसी लागू होने से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी उसके यहां लौट आएंगे।
किन राज्यों में विदेशियों को नागरिकता दी जा रही है?
नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत 9 राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेट और गृह सचिवों को नागरिकता देने के अधिकार दिए गए हैं। ये राज्य हैं- गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र।
चार सालों में कितनों को मिली नागरिकता
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिसंबर 2021 में राज्यसभा में बताया था कि वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए कुल 3117 अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी गई। हालांकि आवेदन 8244 मिले थे। वहीं गृह मंत्रालय की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2021 में कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई।