Bharat Ratna Lal Krishna Advani: बीजेपी-जनसंघ के दिग्गज नेता व देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी 50वें व्यक्ति हैं। भारत रत्न पाने वाले वह बीजेपी के तीसरे नेता हैं। उनसे पहले पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख भी भारत रत्न पा चुके हैं। राम मंदिर आंदोलन को धार देते हुए देश में रथयात्रा निकालने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की जानकारी स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर दी है।
बंटवारा के बाद भारत आ गया था परिवार
लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक नेताओं में एक हैं। इमरजेंसी के दौरान जनसंघ का जनता पार्टी में विलय और फिर टूट के बाद साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव पड़ी। लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उसके संस्थापकों में एक रहे हैं। आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को विभाजन-पूर्व सिंध में हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद आडवाणी का परिवार दिल्ली आ गया। वो 1951 में जनसंघ का हिस्सा रहे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के साथ काम करते हुए संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाया। आडवाणी पहली बार 1970 में राज्यसभा में पहुंचे। 1972 में वह भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए। भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने जाने के 3 साल बाद यानी साल 1975 में मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व काल में आडवाणी को जनता पार्टी में सूचना एवं प्रसारण मंत्री नियुक्त किया गया।
राम जन्मभूमि आंदोलन से बीजेपी को दिलाई बढ़त
लालकृष्ण आडवाणी ने बीजेपी को संजीवनी देने का काम करते हुए राम मंदिर आंदोलन खड़ा किया। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सोमनाथ से रथयात्रा लेकिन निकले। लेकिन यह रथयात्रा बिहार में तत्कालीन सरकार ने रोक दी और आडवाणी को नजरबंद कर दिया गया। यह वही समय था जब वीपी सिंह ने देश में मंडल कमीशन लागू किया था। मंडल और कमंडल की लड़ाई में देश की भावनाएं मंदिर मुद्दे पर उद्वेलित हो गई और बीजेपी को राजनैतिक माइलेज मिली। देश भर में भगवा लहर ऐसे छायी कि 2 सीटें जीतने वाली बीजेपी सत्ता के दरवाजे तक पहुंच गई। हालांकि, अटल-आडवाणी की जोड़ी बेहद हिट निकली और दोनों ने सामंजस्य आखिर तक बनाए रखा।
अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास लेने के बाद लालकृष्ण आडवाणी को पीएम के चेहरे के रूप में प्रमोट किया लेकिन आडवाणी जीवन भर पीएम-इन-वेटिंग ही रह गए। अटल सरकार में वह देश के गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री भी रहे। हालांकि, 2014 में बीजेपी की सरकार बनने और पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी के चुने जाने के बाद राजनीतिक रूप से आडवाणी हाशिए पर धकेल दिए गए। बीते दिनों राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी राम मंदिर आंदोलन के इस पुरोधा को यहां आने का मौका नहीं मिला।