December 25, 2024
Mahakumbh Mela 2025 : कुंभ कितने प्रकार के होते हैं, यहां जानिए

Mahakumbh mela 2025 : कुंभ कितने प्रकार के होते हैं, यहां जानिए​

Kumb mela 2025 : क्या आपको पता है कुंभ के चार प्रकार होते हैं, जिनमें कुंभ, महाकुंभ, अर्धकुंभ, और पूर्णकुंभ हैं. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है...

Kumb mela 2025 : क्या आपको पता है कुंभ के चार प्रकार होते हैं, जिनमें कुंभ, महाकुंभ, अर्धकुंभ, और पूर्णकुंभ हैं. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है…

Kumbh 2025 : कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन है. जिसका आयोजन हर 12 साल में देश के चार पवित्र स्थानों – संगम नगरी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन या नासिक में होता है. इस बार प्रयागराज में मेला लगने जा रहा है. कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति से होती है और इसका समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है. आपको बता दें कि इस पवित्र मेले में भाग लेने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं. क्या आपको पता है कुंभ के चार प्रकार होते हैं, जिनमें कुंभ, महाकुंभ, अर्धकुंभ, और पूर्णकुंभ है. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है…

Kumbh 2025 : 12 साल बाद कैसे तय की जाती है महाकुंभ मेले की तारीख और जगह, यहां जानिए

कुंभ मेला

यह हर 12 वर्षों में एक बार हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में से किसी एक स्थान पर आयोजित किया जाता है. महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु और संत शामिल होते हैं, जो पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं.

अर्ध कुंभ

वहीं, अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल पर आयोजित किया जाता है. यह कुंभ केवल प्रयागराज और हरिद्वार में लगता है. अर्ध कुंभ में मुख्य रूप से स्नान का महत्व है, और यह भी एक महत्वपूर्ण अवसर है जब भक्तगण पवित्र नदी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं.

पूर्ण कुंभ

12 साल में लगने वाले कुंभ मेले को ही पूर्ण कुंभ कहते हैं. यह संगम तट प्रयागराज में ही आयोजित किया जाता है. प्रयागराज में लगने वाले कुंभ का विशेष महत्व होता है क्योंकि, पूर्ण कुंभ की तिथि ग्रहों की शुभ संयोग पर तय की जाती है. जिसके कारण लाखों करोंड़ों की संख्या में हिन्दू धर्म के अनुयायी यहां एकत्रित होते हैं और पवित्र नदी में स्नान करते हैं.

महाकुंभ

वहीं, महाकुंभ 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आयोजित किया जाता है. महाकुंभ की तिथि 144 साल बाद आती है. यही वजह है कि लोग महाकुंभ में स्नान करने को विशेष महत्व देते हैं. इस साल महाकुंभ संक्रांति यानी 13 जनवरी, 2025 से शुरू हो रहा है 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा.

कैसे तय होती है कुंभ की तारीख

दरअसल, कुंभ मेला किस स्थान पर आयोजित किया जाएगा यह तय करने के लिए ज्योतिषी और अखाड़ों के प्रमुख एक साथ आते हैं और बृहस्पति और सूर्य की स्थिति का निरीक्षण करते हैं. बृहस्पति यानी गुरु और सूर्य दोनों हिंदू ज्योतिष में प्रमुख ग्रह हैं. इनकी गणना के आधार कुंभ मेले का स्थान और तिथि तय की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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