नई दिल्ली। कोरोना से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। ऑक्सीजन की कमी से कई राज्यों में त्राहिमाम है। नेशनल कैपिटल दिल्ली में लोग ऑक्सीजन के अभाव में जान गंवा रहे हैं। लोगों को मरता देख सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रहे। दिल्ली पर हो रही राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक सुनवाई करते हुए मुंबई माॅडल (Mumbai Model) की तारीफ की और बताया कि कैसे कोविड मैनेजमेंट से मुंबई ने कोरोना को मात देना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को भी फटकार लगाई।
मुंबई कोविड प्रभावित शहरों में टाॅप पर रहा
मुंबई देश के सबसे अधिक कोविड प्रभावित शहरों में टाॅप पर रहा है। लेकिन मुुंबई ने हालात को बड़ी तेजी से नियंत्रित कर लिया है। यहां कोविड संक्रमण का दर दस प्रतिशत से कम पर आ चुका है। अप्रैल में जहां मुंबई में 11 हजार से अधिक केस रोज मिल रहे थे वहीं बीते मंगलवार को यह आंकड़ा 2554 पर तक आ गया है। जब कोरोना की दूसरी लहर के पीक पर जाने की बात कही जा रही है तो मुंबई बीएमसी ने कोविड मैनेजमेंट (Mumbai Model) से शहर में कोरोना का संक्रमण दर बेहद कम कर सबको चैका दिया है। मुंबई बीएमसी के कमिश्नर सुरेश ककानी ने स्वयं जिम्मेदारी संभालते हुए बेहद मैनेज्ड तरीके से कोविड मैनेजमेंट किया।
टेस्टिंग-ट्रैकिंग के लिए जगह-जगह कियोस्क
मुंबई में कोविड संक्रमण से मचे हाहाकार के बीच बीएमसी ने भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में कियोस्क स्थापित किए। बीएमसी कमिश्नर सुरेश ककानी ने बताया कि मुंबई के शाॅपिंग माॅल्स, मछली बाजार, सब्जी मंडी या किसी भी भीड़ वाली जगहों पर स्वाब कलेक्शन के लिए कियोस्क बनाए गए। बाजार में सामान लेने आने-जाने वालों की रैपिड एंटीजन टेस्ट मौके पर ही कराया गया। जबतक कोई बाजार में सामान की खरीदारी करता तबतक 15-20 मिनट में एंटीजन रिपोर्ट आ जाती। आवश्यकता पड़ने पर उस व्यक्ति को तत्काल आईसोलेशन के लिए भेज दिया जाता। इसके अतिरिक्त दुकानदारों और खाद्य व्यापारियों की आरटी-पीसीआर कराया जाता रहा। मुंबई (Mumbai Model) में क्वारंटीन के लिए जो पहले तैयारियां की गई, वह दूसरी लहर में कारगर साबित हुई।
ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की सुविधा पहले ही बढ़ा दी
मुंबई ने सेकेंड वेव को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन सप्लाई को बढ़ाया। करीब 28 हजार बेड मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में थे। इसमें 12 से 13 हजार बेड्स को ऑक्सीजन सुविधा से लैस किया गया। इससे मरीजों की संख्या बढ़ने से अचानक से अफरातफरी कम हुई।
जंबो सिलेंडर्स के लिए हो चुके थे तैयार
मुंबई बीएमसी कमिश्नर ने बताया कि शुरूआत में हर जगह जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगे थे वह सामान्य सिलेंडर थे। लेकिन बाद में इसको जंबो सिलेंडर से रिप्लेस कर दिया गया। जंबो सिलेंडर की कैपिसिटी आम सिलेंडर से दस गुना अधिक होने से थोड़ी राहत हुई। साथ ही 13 हजार किलो लीटर वाली लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक तैयार किया गया। मैनेजमेंट (Mumbai Model) की वजह से अस्पताल रीफिल मोड से हटकर स्टोरेज-सप्लाई मोड पर आ गए थे।
पूर्व के रूटीन को नहीं होल्ड किया, जारी रहा फाॅलोअप
मुंबई में कोविड को मात देने के लिए पहली लहर के दौरान जो रुटीन सिस्टम फॉलो किया जाता था, उसको कभी रोका नहीं गया। घर-घर जाकर सर्वे, कैंप लगाना, इनफ्लुएंजा जैसे या कोविड लक्षणों की पहचान के लिए निजी तौर पर प्रैक्टिस करने वालों को साथ रखा गया। इसका फायदा यह हुआ कि एक डेटाबेस भी तैयार रहा। इसी आधार पर वॉर रूम भी तैयार किए गए। यह वार रूम एक निश्चित एरिया तक की जिम्मेदारी संभालता। सभी वॉर रूम लोगों के संपर्क में रहते थे। उन्हें आइसोलेट करते थे, टेस्टिंग सुविधा, मरीजों को शिफ्ट करने जैसे काम करते थे।
मरीज के पास रिपोर्ट जाने के पहले ही बीएमसी के पास सूचना
बीएमसी कमिश्नर ने बताया कि हमने सभी टेस्ट सेंटर्स को अनिवार्य कर दिया था कि जांच रिपोर्ट मरीज के पास जाने से पहले हमारे पास आनी चाहिए। इसका फायदा यह हुआ कि वार रूम के पास जानकारी मिलते ही मरीज को आवश्यक सहायता तत्काल पहुंच जाती थी। उनका रिकार्ड रहता तो मरीज को आईसोलेशन के बाद समय समय पर जांच, सुविधाएं और आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल ले जाने की व्यवस्था समय से होती गई।
रेमडेसिविर की खपत का अनुमान लगाकर व्यवस्था कर ली
बीएमसी कमिश्नर ने बताया कि काफी डेटा होने की वजह से हमने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी और जरूरत का अंदाजा लगा लिया। समय से दो लाख इंजेक्शना के लिए पहले ही टेंडर जारी कर दिया। इसकी वजह से किसी पब्लिक हॉस्पिटल में रेमडेसिविर की कमी नहीं हुई। साथ ही मुंबई के सभी बड़े अस्पतालों में 80 फीसदी बिस्तर कोविड मरीजों के लिए रिजर्व रखने का आदेश दे दिया गया था।
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