शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे NCP से निष्कासित, अजीत गुट ने सांसद सुनील तटकरे को बनाया प्रदेश अध्यक्ष

NCP Crisis: महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। एनसीपी की फूट के बाद अब दोनों गुट खुद को असली साबित करने में जुटे हुए हैं। शरद पवार ने बागी सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उधर, अजीत पवार गुट ने खुद को असली एनसीपी बताते हुए नई टीम का ऐलान किया है। सांसद सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष तो अनिल पाटिल को चीफ व्हिप बनाया गया है।  हालांकि, अजीत पवार गुट से जब यह पूछा गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर किसे नामित किया गया है तो पवार ने कहा कि क्या आप भूल गए हैं कि शरद पवार इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

अनिल पाटिल को चीफ व्हिप की जिम्मेदारी

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जयंत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से हटाकर सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि अनिल पाटिल को चीफ व्हिप की जिम्मेदारी दी गई है। एनसीपी विधायक दल के नेता एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि हमने स्पीकर को लेटर देकर जयंत पाटिल और जितेंद्र अवहाड को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को निकाला

उधर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के लेटर पर सांसद प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने पर निष्कासित कर दिया है।

शरद पवार को लेटर में कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने लिखा, “मैं आपको यह सूचित करने के लिए आग्रह कर रही हूं कि राकांपा के दो सांसदों, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने हमारे संविधान, पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया है। 9 विधायकों के शपथ समारोह की मेजबानी और नेतृत्व करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हैं। ये दल-बदल पार्टी अध्यक्ष की जानकारी या सहमति के बिना इतने गुप्त तरीके से किए गए थे, जो पार्टी छोड़ने के समान है, जो अयोग्यता को आमंत्रित करता है। यही नहीं इससे यह भी स्पष्ट है कि ये सांसद न तो एनसीपी के उद्देश्य या विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं न ही पार्टी में अब शामिल हैं। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

अनुशासन समिति ने 9 विधायकों को अयोग्य करने का प्रस्ताव किया पास

राकांपा की अनुशासन समिति ने भी उन 9 विधायकों को अयोग्य ठहराने का प्रस्ताव पास कर दिया है जो अजीत पवार के साथ सत्तारूढ़ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन की सरकार का समर्थन करते हुए उसमें शामिल हो गए। एनसीपी की अनुशासन समिति ने कहा कि 9 विधायकों की ये हरकतें तत्काल अयोग्यता की श्रेणी में आते हैं। अगर उन्हें सदस्य के रूप में बने रहने की अनुमति दी गई तो इस बात की बहुत वास्तविक संभावना है कि वे पार्टी के हितों को कमजोर करने की कोशिश करते रहेंगे।

1999 में स्थापित एनसीपी को सबसे बड़ा झटका

कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया था। तबसे पवार की पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक है। दो दशक पूर्व बनी पार्टी के लिए यह सबसे बड़ा झटका है। अजीत पवार, शरद पवार के भतीजा हैं और पार्टी में नंबर दो की हैसियत में थे। काफी दिनों से नाराज चल रहे अजीत पवार ने रविवार को अचानक 8 विधायकों के साथ बगावत कर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से हाथ मिला लिया। अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनके साथ गए 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है।