November 25, 2024
Ladakh tourism

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लेह में पर्यटन को रफ्तार देने के लिए PRASAD योजना के तहत 100 करोड़ रुपये

यूटी टूरिज्म के सेक्रेटरी कमिश्नर Rigzin Samphel ने कहा कि प्रसाद योजना के तहत, मुख्य बाजार में प्रतिष्ठित बौद्ध धर्म के चोकांगा विहार पर लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक लद्दाख (Ladakh) के लेह (Leh) को राष्ट्रीय तीर्थाटन संरक्षण और अध्यात्म अभिवृद्धि अभियान यानी प्रसाद योजना के लिए चुना गया है। इसके अंतर्गत लेह में लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे का विकास किया जायेगा। पर्यटन मंत्रालय के सलाहकारों के एक दल ने कल लेह का दौरा किया।

पर्यटन स्थलों और बुनियादी सुविधाओं पर लगभग 65 करोड़ खर्च

लद्दाख में लेह शहर को तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिकता संवर्धन अभियान ‘प्रसाद योजना’ के राष्ट्रीय मिशन के तहत शॉर्टलिस्ट किया गया है। प्रसाद का उद्देश्य पूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान करने के लिए योजनाबद्ध, प्राथमिकताबद्ध और टिकाऊ तरीके से एकीकृत विकास करना है। कायाकल्प योजना के साथ, यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, विश्व स्तर के पर्यटक बुनियादी ढांचे और स्थानीय कला, संस्कृति और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।

Rigzin samphel
यूटी टूरिज्म के सेक्रेटरी कमिश्नर Rigzin Samphel

प्रसाद योजना के तहत, मुख्य बाजार में प्रतिष्ठित बौद्ध धर्म के चोकांगा विहार पर लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शहर में विभिन्न पर्यटन स्थलों और बुनियादी सुविधाओं पर लगभग 65 करोड़ का उपयोग किया जाएगा।

यूटी टूरिज्म के सेक्रेटरी कमिश्नर Rigzin Samphel

लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह सीईसी ताशी ग्याल्टसन ने कहा कि पर्यटन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लेह विकास की लंबे समय से लंबित मांग अब मूर्त हो रही है। जल्द ही लेह पहाड़ी परिषद के परामर्श से यूटी प्रशासन ने पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं और अनुभव के लिए प्रसाद योजना के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की।

Leh Tourism

क्या है प्रसाद योजना

पर्यटन मंत्रालय की ओर से वर्ष 2014-15 में तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन ड्राइव (PRASAD) शुरू किया गया। यह एक राष्ट्रीय मिशन है, यह योजना पूरी तरह से केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है। इस योजना के तहत धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए देश भर के तीर्थ स्थलों की पहचान और विकास उनका विकास किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान कराना और साथ ही प्राथमिकता वाले और स्थायी तरीके से तीर्थ स्थलों का एकीकृत विकास करना है।

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