Sugamya Bharat Abhiyan: प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विजन के साथ 3 दिसंबर 2015 को ‘सुगम्य भारत अभियान’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विश्वव्यापी सुलभता प्राप्त करना है.
सुगम्य भारत अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाना है. PM मोदी ने 3 दिसंबर 2015 को इस अभियान की शुरुआत की थी. मंगलवार (3 दिसंबर) को सुगम्य भारत अभियान के 9 साल पूरे हो रहे हैं.
सुगम्य भारत अभियान के मुख्य उद्देश्य
1. सार्वजनिक स्थलों जैसे कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन आदि को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाना.
2. सार्वजनिक परिवहन जैसे कि बस, रेल, मेट्रो आदि को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाना.
3. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे कि वेबसाइट, मोबाइल ऐप आदि को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाना.
सुगम्य भारत अभियान के तहत की गई ये पहल
-सुगम्य भारत अभियान के तहत सार्वजनिक स्थलों का ऑडिट शुरू किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे दिव्यांगों के लिए सुलभ हैं या नहीं.
– सुलभता मानकों का विकास किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सार्वजनिक स्थल और सेवाएं विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हैं.
-जागरूकता अभियान चलाए गए, ताकि लोगों को विकलांग व्यक्तियों की जरूरतों के बारे में जागरूक किया जा सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए निरंतर समर्पण, करुणा और समावेशिता की एक प्रेरणादायक यात्रा के लिए भी जाने जाते हैं. यहां कुछ उदाहरण हैं, जो उनकी दयालुता और समावेशी नेतृत्व को दर्शाते हैं:
– 1999 में उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिव्यांग व्यक्ति को देखा, जिसे पार्टी कार्यकर्ताओं ने हटा दिया था. तब मोदी ने अपनी कार रोकी, उस व्यक्ति से बात की और उसकी समस्या का समाधान निकाला था.
– 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने स्वागत कार्यक्रम शुरू किया, जिससे नागरिकों को अपनी शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की अनुमति मिली.
-2006 में एक दिव्यांग किसान मजदूर को सरकार द्वारा आवंटित जमीन और घर को तोड़ने का आदेश मिला. गुजरात के तत्कालीन सीएम मोदी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और उनकी घर का पुनर्निर्माण करवाया. उन्होंने इसके साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की.
इन उदाहरणों से पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी दिव्यांगजनों के कल्याण के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं. उनके नेतृत्व में देश में समावेशी और सुलभ वातावरण बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
विकलांग को दिव्यांग कहने की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उन्होंने अपने रेडियो शो ‘मन की बात’ में विकलांग व्यक्तियों को ‘दिव्यांगजन’ के रूप में संबोधित करने की अपील की थी. इस परिवर्तन ने समाज में एक नए दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, जिसमें विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को सम्मान और आदर के साथ देखा जाता है.
दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने की पहल
पीएम मोदी के नेतृत्व में समावेशिता और सशक्तीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया. RPWD एक्ट 2016 में लंबे समय से उपेक्षित स्थितियों को संबोधित करते हुए पहली बार स्पीच और लैंग्वेज डिसएबिलिटी और स्पेसिफिक लैंग्वेज सीखने की डिसएबिलिटी जैसी कैटेगरी इसमें शामिल की गईं.
RPWD एक्ट 2016 में एक पहली बार एसिड अटैक पीड़ितों को दिव्यांग व्यक्तियों के रूप में मान्यता दी गई थी. इस एक्ट ने एसिड अटैक सर्वाइवरों को कानूनी अधिकार, पुनर्वास कार्यक्रमों तक पहुंच और सम्मान के साथ समाज में फिर से शामिल होने के अवसरों के साथ सशक्त बनाया.
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