5वीं रैंक शोभा राईका ने मुख्य परीक्षा में हिंदी में 200 में से 189 अंक और सामान्य ज्ञान में 200 में से 155 अंक हासिल किए थे, जबकि दोबारा ली गई परीक्षा में हिंदी में 200 में से 24 और सामान्य ज्ञान में 200 में से सिर्फ 34 अंक ही हासिल कर पायी.
राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व सदस्य रामूराम राईका को अदालत ने सोमवार को पुलिस हिरासत में भेज दिया. रामूराम राईका की बेटी शोभा राईका ने 2021 में पुलिस सब इंस्पेक्टर परीक्षा में राज्य में 5वां स्थान हासिल किया था, वहीं बेटे देवेश ने 14वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन मामला सामने आने के बाद फिर से ली गई परीक्षा में उन्होंने पास मार्क्स भी हासिल नहीं किया.
दरअसल जिन पुलिस अधिकारियों ने उसे हिरासत में लिया था, उनका कहना था कि अकादमी में उसके बारे में कई तरह की बातें हो रही थीं कि उसने और उसके भाई देवाश ने गलत तरीके से परीक्षा पास की.
देवेश ने सब इंस्पेक्टर परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन वो भी पुलिस अकादमी में औसत प्रदर्शन से ऊपर नहीं था.
इस घोटाले की जांच कर रहे विशेष अभियान समूह ने तब उन सभी उम्मीदवारों की दोबारा जांच करने का फैसला किया, जो 2021 की पुलिस सब इंस्पेक्टर परीक्षा के जरिए से आए थे और जयपुर तथा किशनगढ़ में पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे थे.
शोभा राईका जिसने मुख्य परीक्षा में हिंदी में 200 में से 189 अंक और सामान्य ज्ञान में 200 में से 155 अंक हासिल किए थे, वो दोबारा ली गई परीक्षा में उत्तीर्ण ग्रेड भी हासिल नहीं कर सकी. उसने दोबारा ली गई परीक्षा में हिंदी में 200 में से 24 अंक और सामान्य ज्ञान परीक्षा में 200 में से 34 अंक ही हासिल कर पायी.
इसके बाद एसओजी ने कड़ियों को जोड़ना शुरू किया. उसके पिता रामूराम राईका 2018 से 2022 के बीच राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य थे. परीक्षा 2021 में आयोजित की गई थी. उनके दोनों बच्चों बेटी शोभा और बेटे देवेश ने एक साथ 2021 में पुलिस सब इंस्पेक्टर परीक्षा पास की थी.
एसओजी ने अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ के दौरान सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि उन्होंने कथित तौर पर कबूल किया है कि उनके पिता रामू राम रायका ने उन्हें हाथ से लिखा प्रश्न पत्र दिया था।
रामूराम राईका को पेपर कैसे मिला, ये अभी भी एक रहस्य है और एसओजी के सूत्रों ने ये खुलासा नहीं किया है कि क्या वो किसी नकल गिरोह के संपर्क में था, या उसने अपने बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था, जो प्रश्न पत्र तैयार करती है और परीक्षा आयोजित करती है.
कहानी में एक और मोड़ है, बाबू लाल कटारा पर भी आरपीएससी स्रोत से होने वाले पेपर लीक का हिस्सा होने का आरोप है, उन्हें भी एक साल पहले एसओजी ने गिरफ्तार किया था. कटारा भी आरपीएससी के सदस्य थे. एसओजी अब उसे प्रोडक्शन वारंट पर जेल से बाहर ले आई है.
शोभा राईका ने एसआई परीक्षा के लिए जब अपना इंटरव्यू दिया तो उसने 50 में से 34 अंक हासिल किए थे, बाबू लाल कटारा उस पैनल में शामिल थे जिसने उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया था. इससे राईका परिवार के साथ उनका संबंध साफ जाहिर होता है.
ये विडंबना है कि कटारा और रामूराम राईका, जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष सार्वजनिक सेवा परीक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए थी, वे खुद पेपर लीक के संदेह में हैं.
दिलचस्प बात ये है कि ये धोखाधड़ी करने वाले गिरोह पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर काम करते हैं. अशोक गहलोत को उनके कार्यकाल के दौरान हुए पेपर लीक के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. बाबू लाल कटारा को अक्टूबर 2020 में आयोग में नियुक्त किया गया था, जब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, लेकिन रामूराम राईका को उस समय आयोग में शामिल किया गया, जब बीजेपी राजस्थान में शासन कर रही थी और वसुन्धरा राजे मुख्यमंत्री थीं.
राईका पश्चिमी राजस्थान में वंचित चरवाहों का एक समुदाय है, जबकि कटारा दक्षिण राजस्थान में आदिवासी समुदाय से है. दोनों सदस्य आयोग में पहुंचे क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों हाशिए पर मौजूद इन वोट बैंकों को मजबूत करना चाहते थे.
लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि अशोक गहलोत ने कटारा को आरपीएससी में नियुक्त करने के लिए भारी कीमत चुकाई. पिछले साल राजस्थान चुनाव से छह महीने पहले उनकी गिरफ्तारी ने इस धारणा को और मजबूत कर दिया कि सरकार किसी तरह पेपर लीक से जुड़ी हुई थी और इसने निश्चित रूप से युवाओं के बीच राजस्थान में गहलोत सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाने का काम किया.
राईका की गिरफ्तारी को लेकर अतिरिक्त महानिदेशक (एसओजी) वीके सिंह ने बताया, ‘आरपीएससी के पूर्व सदस्य राईका को उप निरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा का पेपर अपने बच्चों को उपलब्ध कराने के आरोप में रविवार देर रात गिरफ्तार किया गया. उसे आज अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे छह दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.’
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महावीर सिंह ने राईका को अदालत में पेश किया. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मांडवी राजवी ने इस मामले में आगे की पूछताछ के लिए राईका को छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. सिंह ने बताया कि एसओजी ने रविवार को राईका के बेटे और बेटी के साथ-साथ तीन अन्य प्रशिक्षु एसआई को भी पेपर लीक मामले में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया.
उल्लेखनीय है कि उप निरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में संलिप्तता के आरोप में रविवार को दो महिलाओं समेत पांच प्रशिक्षु उप-निरीक्षकों को गिरफ्तार किया गया था.
सभी पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सात सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. एसओजी के आधिकारिक बयान के अनुसार गिरफ्तार किए गए प्रशिक्षुओं में रामूराम राईका की बेटी शोभा राईका और उसका बेटा देवेश राईका शामिल हैं.
बयान के अनुसार गिरफ्तार तीन अन्य प्रशिक्षु एसआई में मंजू देवी, अविनाश पलसानिया और विजेंद्र कुमार भी शामिल हैं. इन सभी पांचों प्रशिक्षुओं को शनिवार को राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) से हिरासत में लिया गया और पूछताछ के लिए एसओजी कार्यालय लाया गया.
उप-निरीक्षक भर्ती परीक्षा-2021 के पेपर लीक मामले में अब तक 61 आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग आरोप पत्र पेश किए जा चुके हैं. इन 61 आरोपियों में 33 प्रशिक्षु उप-निरीक्षक, चार चयनित उम्मीदवार और पेपर लीक गिरोह से जुड़े 24 लोग शामिल हैं. बयान के अनुसार इस मामले में 65 अन्य आरोपियों की तलाश अभी जारी है.
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