SC on EVM VVPAT counting: सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की शत प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार ईवीएम जांच का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अब हारा हुआ प्रत्याशी अगर उसे लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी है तो वह जांच करा सकता है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने EVM के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। हालांकि, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने एकमत से फैसला सुनाते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
वोट ईवीएम से ही होगा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी की वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं होगा। वोटर पोलिंग बूथ जाएगा। अंगुली पर स्याही लगेगी। चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन दबाएगा। वोटर बैलट यूनिट में कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाएगा और फिर कुछ सेकेंड तक वीवीपैट की लाइट में अपनी पर्ची देख सकेगा।
राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स करा सकते जांच
फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स के लिए एक रास्ता खुला है। वे EVM की जांच करवा सकेंगे। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद EVM बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे। किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल EVM’s में से 5% मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5% EVM को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा।
जांच का कौन उठाएगा खर्च
इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी। लेकिन जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी दिया 3 निर्देश
- सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए।
- इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
- यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।