November 24, 2024
Sharad Yadav

Sharad Yadav: गोल्ड मेडलिस्ट सिविल इंजीनियर जो बन गया जेपी का पहला हलधर किसान

समाजवादी आंदोलन की मुखर आवाज गुरुवार को खामोश हो गई। आईए जानते हैं दिग्गज राजनेता शरद यादव के राजनीतिक सफर के बारे में...

Sharad Yadav passes away: देश की राजनीति के दिग्गज राजनेता शरद यादव का निधन हो गया है। दस बार सांसद रहे शरद यादव की गिनती मंडल आंदोलन के प्रमुख नेताओं में होती है। जेपी के चेलों में अगली पंक्ति में शुमार शरद यादव के पास तीन राज्य से सांसद चुने जाने का भी अनोखा रिकॉर्ड है तो सबसे अधिक दलों का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने रहने का। वह एनडीए के काफी दिनों तक संयोजक भी रहे हैं। समाजवादी आंदोलन की मुखर आवाज गुरुवार को खामोश हो गई। आईए जानते हैं दिग्गज राजनेता शरद यादव के राजनीतिक सफर के बारे में…

मध्य प्रदेश जन्मभूमि…

शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में जन्में शरद यादव के पिता किसान थे। उनका जन्म एक जुलाई, 1947 को हुआ था। यादव ने प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। मध्य प्रदेश के जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने बीई की डिग्री हासिल की थी। शरद यादव की शादी डॉ.रेखा यादव से हुई है। यादव की एक बेटी सुभाषिनी यादव और एक बेटा शांतनु यादव है। बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस में सक्रिय हैं।

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गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर से छात्र नेता

शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई किया था। वह गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियरिंग डिग्रीधारक रहे हैं। लेकिन समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में कूद पड़े। 1974 में वह जबलपुर से सांसद चुने गए। शरद यादव का लोहिया और जेपी से विशेष लगाव रहा है। देश की सबसे बड़ी पंचायत में दस बार पहुंचने वाले शरद यादव पढ़ाई में मेधावी तो थे ही राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी रखते थे। वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही छात्रसंघ चुनाव में उतरे। उन्होंने न केवल कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज) के छात्र संघ अध्यक्ष भी चुने गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बीई की डिग्री लेने के बाद वह पूर्णकालिक राजनीति में उतरे।

जेपी से हुए प्रभावित…

जब शरद यादव छात्र राजनीति में मशगूल थे तब देश में संपूर्ण क्रांति की अलख जगाई जा रही थी। देश की युवा पीढ़ी जेपी के नेतृत्व में एकजुट हो रही थी। शरद भी कहां पीछे रहने वालों में थे। युवा नेता के रूप में उनकी सक्रियता बढ़ी तो उस दौर में जेल की हवा खानी पड़ी। मीसा के तहत जेल में रहे। आपातकाल के दौरान मीसा बंदी के रूप में जेल काटने के बाद निकले तो अगली पंक्ति के यूथ लीडर्स में शुमार हो गए। जेपी के पहले हलधर किसान के रूप में शरद यादव के प्रत्याशिता की घोषणा की गई थी।

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तीन प्रदेशों से सांसद रहने का रिकॉर्ड

शरद यादव पहली बार 1974 में जबलपुर से सांसद चुने गए। इसके बाद सात बार लोकसभा चुनाव जीत कर पहुंचे। वह केवल जबलपुर से ही सांसद नहीं रहे बल्कि यूपी के बदायूं लोकसभा और मधेपुरा सीट से भी सांसद रहे हैं। मध्य प्रदेश जन्मस्थली होने के बाद भी उन्होंने यूपी और बिहार को ही अपना राजनीतिक केंद्र बनाया। हालांकि, यूपी से अधिक वह बिहार में ही फोकस कई दशकों तक रहे। शरद यादव तीन बार राज्यसभा भी गए हैं।

शरद यादव अपने राजनीतिक सफर के दौरान वीपी सिंह, अटल बिहारी बाजपेयी सहित कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। जनता दल की सरकार में वह 1989-1990 में केंद्रीय टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्री बने थे।

जनता दल के टॉप लीडर्स में रहे शुमार

जनता पार्टी से शुरू हुआ शरद यादव का सफर जनता दल से होता हुए जनता दल के विभिन्न घटकों तक रहा। शरद यादव के पास सबसे अधिक राजनीतिक दलों के अध्यक्ष होने का भी रिकॉर्ड है। वह 1995 में जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। लेकिन 1998 में जॉर्ज फर्नांडीस के सहयोग से जनता दल यूनाइटेड पार्टी बनाई। इसके बाद वह एनडीए में शामिल हुए। एनडीए के संयोजक के रूप में भी काफी दिनों तक काम किया। शरद यादव ने जेडीयू से नाता तोड़ लिया था। इसके बाद वह 2018 में लोकतांत्रिक जनता दल बनाया। लेकिन 2020 में ही उन्होंने अपनी पार्टी का विलय राष्ट्रीय जनता दल में कर दिया था।

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