March 5, 2025
Sheetala Ashtami 2025: मार्च में किस दिन रखा जाएगा शीतला अष्टमी का व्रत, यहां जानिए पूजा विधि 

Sheetala Ashtami 2025: मार्च में किस दिन रखा जाएगा शीतला अष्टमी का व्रत, यहां जानिए पूजा विधि ​

Sheetala Ashtami Date: चैत्र माह में शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा की जाती है और बासी भोजन को भोग में चढ़ाया जाता है. यहां जानिए इस साल शीतला अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा.

Sheetala Ashtami Date: चैत्र माह में शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा की जाती है और बासी भोजन को भोग में चढ़ाया जाता है. यहां जानिए इस साल शीतला अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा.

Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि पूरे मनोभाव से शीतला माता के लिए व्रत रखकर पूजा संपन्न की जाए तो आरोग्य का वरदान मिलता है जीवन में खुशहाली आती है. होली से 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Ashtami Vrat) रखा जाता है. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर महिलाएं शीतला अष्टमी का व्रत रखती हैं. शीतला अष्टमी इस साल कब मनाई जाएगी और किस तरह शीतला माता की पूजा संपन्न की जाएगी, जानिए यहां.

Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना है जरूरी, मिलती है भगवान विष्णु की कृपा

शीतला अष्टमी कब है | Sheetala Ashtami Date

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च की सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 23 मार्च की सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में उदया तिथि तो ध्यान में रखते हुए 22 मार्च, शनिवार के दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन व्रत रखकर भक्त पूरे मनोभाव से शीतला माता की पूजा संपन्न कर सकते हैं.

कैसे करें शीतला माता की पूजा संपन्न

शीतला अष्टमी से एक दिन पहले से ही व्रत की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. शीतला अष्टमी पर बासी भोजन को भोग स्वरूप चढ़ाते हैं और इस बासी भोजन को ही प्रसाद के रूप के रूप में खाया जाता है. पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है और स्वच्छ वस्त्र धारण करके वस्त्र का संकल्प लिया जाता है.

पूजा की थाली में मीठे चावल, हलवा, दीपक, रोली, अक्षत, वस्त्र, बड़कुले की माला, सिक्के और हल्दी आदि रखे जाते हैं. शीतला माता (Sheetla Mata) पर व्रत की सामग्री अर्पित की जाती है, शीतला अष्टमी की कथा पढ़ी जाती है और आरती करके पूजा का समापन होता है.

शीतला अष्टमी को बसौड़ा (Basoda) भी कहा जाता है या इसे बसियौरा कहते हैं क्योंकि इस दिन बासी भोग और प्रसाद तैयार किए जाते हैं. इसे ठंड के समाप्त होने का प्रतीक भी माना जाता है. प्रसाद में एक दिन पहले मीठे, चावल, पूरी, पूए और हलवा तैयार किया जाता है. यह भोजन पहले भोग में इस्तेमाल किया जाता है और उसके बाद इसे प्रसाद के तौर पर सभी में बांटा जाता है और खाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.