November 22, 2024
sonam Wangchuk

Pashmina March to LAC cancelled: सोनम वांगचुक ने किया लद्दाख पश्मीना मार्च कैंसिल

इस मार्च का ऐलान इसलिए किए थे ताकि यह दिखाया जा सके कि चीन ने 2020 से कितनी जमीन हड़प ली है।

Pashmina March called off: लद्दाख के शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने एलएसी तक प्रस्तावित पश्मीना मार्च कैंसिल कर दिया है। लद्दाख प्रशासन द्वारा धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाकर मार्च को अनुमति नहीं देने और क्षेत्र में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद वांगचुक ने एक दिन पहले मार्च कैंसिल करने की घोषणा की है। सोनम वांगचुक, पश्मीना मार्च के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन द्वारा किए जा रहे कब्जा को देश के सामने रखना चाहते थे। वह लगातार यह दावा कर रहे हैं कि चीन हमारी जमीन कब्जा कर रहा है लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है। शनिवार को वांगचुक ने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि चुनाव के दौरान सच सामने आए और वोट बैंक प्रभावित हो।

हमें परेशान करने की कोशिश की जा रही

वांगचुक ने कहा कि इस शांतिपूर्ण आंदोलन को परेशान करने की कोशिश की जा सकती है और फिर इसे हिंसा के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। इस मार्च को लद्दाख में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को अस्वीकार करने का बहाना बनाया जा सकता है। इसलिए हमने पश्मीना मार्च को कैंसिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में आंदोलन ने देश भर के लोगों में जागरूकता पैदा की है। सरकार को डर है कि सीमा मार्च से चुनाव और उनके वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने शांति भंग करने की कीमत पर भी मुझे सीमा तक मार्च करने से रोकने का फैसला किया।

हम देश को बता चुके कि सीमा पर भारतीय जमीनों के साथ क्या हो रहा

सरकार के नियंत्रण उपायों को पागलपन बताते हुए वांगचुक ने कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्र में शांति पर इसके प्रभाव को लेकर चिंतित हैं और इसलिए हमने मार्च वापस लेने का फैसला किया है। मार्च को रोकने का सरकार का कोई भी प्रयास स्पष्ट संकेत है कि सरकार यह छिपाना चाहती है कि चीन ने लद्दाख में कितनी जमीन हड़प ली है। हमारा उद्देश्य पहले ही हासिल हो चुका है। देश को इस बात से अवगत कराना था कि लद्दाख और उसके चरागाहों में क्या हो रहा है, सीमा पर भारतीय भूमि के साथ क्या हो रहा है।

दरअसल,सोनम वांगचुक ने चुंगथुंग सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक मार्च का आह्वान किया था। वह इस मार्च का ऐलान इसलिए किए थे ताकि यह दिखाया जा सके कि चीन ने 2020 से कितनी जमीन हड़प ली है। हालांकि, प्रशासनिक सख्ती और धारा 144 लगाकर उनके मार्च को अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने इसे कैंसिल करने का ऐलान कर दिया।

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