Haryana Assembly Election Results: कांग्रेस का हरियाणा में सत्ता का सपना चूर, क्या खेमेबाजी बनी हार की वजह?

Haryana Assembly Election Results: हरियाणा में कांग्रेस का दावा फेल हो चुका है। बीजेपी सत्ता में तीसरी बार वापसी करने जा रही है। भारी संख्या में बगावत के बीच बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली है। उधर, सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त कांग्रेस को झटका लगा है। इसी के साथ पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए मची मारकाट को सरेआम करने वाले नेताओं के चेहरे भी उतरे दिख रहे हैं। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो पूरे चुनाव के दौरान वोटों को सहेजने से कहीं अधिक ध्यान कांग्रेसी नेताओं का खेमेबंदी में रहा। हरियाणा कांग्रेस के चार टॉप लीडर तो खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने में ही लगे रहे और बीजेपी उनकी जमीन को खिसका दी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: खुद को कुर्सी नहीं मिलने पर बेटे को आगे करने की चाल

हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर पूरे चुनाव के दौरान यह आरोप लगते रहे कि वह अपने खेमे वाले उम्मीदवारों को टिकट दिलाने में हर चाल चले। कहीं किसी सीट पर उनके खेमे का टिकट कट गया तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उनके कई खास चेहरे दिखे। हुड्डा बनाम कुमारी शैलजा-रणदीप सुरजेवाला की खेमेबंदी भी चुनाव के दौरान सबसे अधिक चर्चा का विषय रहीं। अभी चुनाव नतीजे आने के पहले ही हुड्डा ने संकेत दिया कि कांग्रेस नेतृत्व यह तय करेगा कि सीएम की कुर्सी कौन लेगा साथ ही उन्होंने दावा किया कि पार्टी राज्य में सरकार बनाएगी। हुड्डा 2005 से 2014 तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा: पिता का दांव खाली जाए तो बेटा लपक ले

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे व रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए हुए थे। माना जा रहा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अगर मौका नहीं मिलता है तो वह अपने बेटे दीपेंद्र को विधायक दल का नेता बनाने के लिए राजी कर लेंगे। दीपेंद्र हुड्डा भी पूरी सक्रियता से चुनाव प्रचार में लगे रहे और पार्टी के विरोधी खेमे पर हमलावर भी दिखे।

कुमारी शैलजा: हुड्डा परिवार की खिलाफत और सीएम की कुर्सी पर नजर

कांग्रेस की महासचिव कुमारी शैलजा, हरियाणा की प्रमुख दलित चेहरा हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी अनबन और खींचतान चुनाव भर चर्चा में रहीं। वह खुलकर इस पर बात करती और स्वीकार करती रहीं कि दोनों के बीच बातचीत बंद है। खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी वह बताती रहीं। चुनाव के दौरान बीजेपी ने उनको दलित चेहरा होने के नाते मुख्यमंत्री बनने का मौका न दिए जाने की बात कहकर कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही खींचतान को और हवा दी। शैलजा ने भी इन आरोपों पर खुलकर बैटिंग कर लगातार सीएम पद की दावेदारी मुखरता से करती दिखीं।
हरियाणा में कांग्रेस के प्रचार के दौरान ही मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि भाजपा शेलजा से बातचीत कर रही थी। लेकिन कुछ बीजेपी नेताओं ने उनके शामिल होने के पहले स्वागत कर खेल बिगाड़ दिया।

सुरजेवाला: तीन की लड़ाई में खुद की झोली में सीएम पद आने की चलते रहे चाल

कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला भी हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव के दौरान चल रही खींचतान में खुद को रोक न सके थे। उन्होंने भी यह कहकर अपनी दावेदारी को हवा दे दी कि चुनाव नहीं लड़ने से मुख्यमंत्री बनने का मौका खत्म नहीं हो जाता। उन्होंने कई मौकों पर खुद को सीएम पद का प्रमुख दावेदार इशारों-इशारों में ही बता दिया।