नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कर्नाटक वक्फ बोर्ड (Karnataka Waqf Board) की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह आयोजित करने की इजाजत से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्टे आर्डर देते हुए विवाद को विराम लगा दिया है। दरअसल, गणेश चतुर्थी समारोह के लिए बेंगलुरु के ईदगाह मैदान (Bengaluru Idgah Maidan) को राज्य सरकार इजाजत देने पर जोर दे रही थीं। दरअसल, वक्फ बोर्ड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि हाईकोर्ट ने साफ कर दिया था कि राज्य सरकार अनुमति दे सकती है।
वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए न्याय की अपील करते हुए कहा कि बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में 200 साल से कोई अन्य धार्मिक आयोजन या उत्सव नहीं हुआ। इसके बाद तीन जस्टिस की बेंच ने 2.5 एकड़ के मैदान में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। हालांकि, ईदगाह मैदान की जमीन का मालिक कौन है? राज्य सरकार या वक्फ बोर्ड, इस पर फैसला होना अभी बाकी है।
ईदगाह मैदान में दो दिन के आयोजन की मांगी गई थी अनुमति
दरअसल, हिंदू पक्ष बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह का आयोजन करना चाह रहा था। दो दिनों के इस आयोजन के लिए अनुमति मांगी गई थी। राज्य सरकार इस आयोजन की अनुमति देना चाहती थी। हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को अनुमति देने पर फैसला लेने के लिए कहा था। कर्नाटक वक्फ बोर्ड, हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। वक्फ बोर्ड की तरफ से राज्य सरकार को ऐसा करने से रोकने की मांग की गई थी। बताया गया कि बीते 200 साल में ईदगाह मैदान बेंगलुरु में अन्य दूसरे धर्म का कोई धार्मिक उत्सव आयोजित नहीं हुआ है। ऐसे में किसी भी दूसरे पक्ष को किसी आयोजन की अनुमति न दी जाए।
वक्फ बोर्ड की ओर से यह दिया गया तर्क
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने बाबरी मस्जिद केस का हवाला दिया। बताया कि एक सरकार द्वारा प्रबंधित मंदिर को दो दिनों की अनुमति दी गई थी कि वहां कोई स्थायी संरचना नहीं बनाई जाएगी। इस पर वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बाबरी मस्जिद मामले में यूपी के तत्कालीन सीएम ने भी आश्वासन दिया था लेकिन आप जानते हैं वहां क्या हुआ था।
सुनवाई के दौरान 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस का जिक्र किया गया और बताया गया कि आज की तारीख में वहां मंदिर बन रहा है। वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे ताकि धार्मिक अल्पसंख्यकों को यह आभास न दें कि उनके अधिकारों को कुचला जा सकता है।
अधिवक्ता दवे ने कहा कि ईदगाह मैदान को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। लेकिन अचानक से इसे 2022 में विवादित भूमि बता दिया गया है। अब यहां गणेश चतुर्थी उत्सव आयोजित करने की कवायद की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक में अगले साल चुनाव होना है। सरकार के इस कदम के पीछे राजनीतिक उद्देश्य छुपे हुए हैं क्योंकि 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
More Stories
‘वो खुद सबसे बड़ी छपरी’, होली पर फराह खान के बयान को सुन भड़का बिग बॉस 18 का ये कंटेस्टेंट
दिल्ली में सोमवार से नई विधानसभा का सत्र, पहले दिन विधायकों की शपथ और स्पीकर का चुनाव; इस दिन पेश होगी CAG रिपोर्ट
कौन है ये मौलाना, जिसका वीडियो शेयर करते हुए एलन मस्क ने लगा दिए दो Question Mark