पीलीभीत के एक किसान मंडी में ही दस कुंतल फूलगोभी को बांट दी। वजह यह कि किसान को उसकी उपज की बेहद कम कीमत मिल रही थी। एक रुपये प्रति किलोग्राम उपज की कीमत सुनकर किसान परेशान हो उठा और उसने बेचने की बजाय उसे जरुरतमंदों में बांटना ही मुनासिब समझा। किसान के अनुसार उपज को मंडी तक लाने के लिए लगे परिवहन भाड़ा भी उससे नहीं निकल पा रहा था। वह करीब दस कुंतल फूलगोभी बेचने को लाया था।
जहानाबाद शहर के किसान मोहम्मद सलीम ने कहा कि उन्हें व्यापारियों द्वारा उनकी फसल के लिए 1 प्रति किलोग्राम की पेशकश की गई थी, जो उनकी उपज को एपीएमसी परिसर में लाने के लिए परिवहन लागत से कम थी।
बकौल किसान, ‘मेरे पास आधा एकड़ भूमि है जहाँ मैंने फूलगोभी की खेती की थी और बीज, खेती, सिंचाई, उर्वरक आदि पर लगभग 8,000 खर्च किए। इसके अलावा, मुझे, 4,000 मूल्य की कटाई और परिवहन लागत वहन करना पड़ा।
मोहम्मद सलीम ने बताया कि वर्तमान में फूलगोभी का खुदरा मूल्य 12 से 14 प्रति किलोग्राम है।
सलीम अपनी उपज के लिए कम से कम उल 8 प्रति किलो की उम्मीद कर रहा था। जब उसे मात्र 1 प्रति किलो की पेशकश की गई तो वह ठगा हुआ महसूस किया।
मोहम्मद सलीम ने बताया कि मेरे पास अपना सारा सामान फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। परिवहन लागत बचाने के लिए वह इसे घर भी नहीं ले जा सकता था।
सलीम ने कहा कि उन्हें अब साहूकार से अधिक ब्याज दर पर लोन लेना होगा क्योंकि वाणिज्यिक बैंक गरीब किसानों को ऋण सुविधा नहीं दे रहे हैं।
बकौल पीड़ित किसान, ‘नुकसान ने मेरे परिवार को एक 60 वर्षीय मां, छोटे भाई, पत्नी और दो स्कूल जाने वाले बच्चों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है। मेरे भाई और मुझे अब परिवार के लिए कुछ श्रम कार्य करने होंगे।’
उधर, एपीएमसी सचिव वी. बलियान ने कहा, हम सब्जी फसलों की खरीद मूल्य के संबंध में कोई नियम लागू नहीं कर सकते क्योंकि ये राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के तहत नहीं थे।
बलियान ने कहा, सब्जियों की कीमतें आम तौर पर आपूर्ति की मात्रा से नियंत्रित होती हैं।