लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का शनिवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। भाजपा के वयोवृद्ध नेता श्री सिंह 89 साल के थे। भाजपा सहित अन्य दलों के नेताओं ने राजनीति के इस पुरोधा को श्रद्धांजलि दी है।
जनसंघ से की थी राजनीति की शुरुआत
कल्याण सिंह (Kalyan Singh) ने राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की थी। साल 1962 में यह अलीगढ़ के अतरौली सीट से पहली बार चुनाव लड़े लेकिन सफलता नहीं मिली। 1967 में फिर जनसंघ के टिकट पर लड़े और कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 4 हजार से अधिक मतों से हराया। इसके बाद यह पीछे मुड़ कर नहीं देखे और यहां से 8 बार विधायक बने। कल्याण सिंह सिर्फ 1980 में चुनाव हारे थे। 1967 से 2004 तक कल्याण सिंह अतरौली से विधायक रहे सिर्फ 1980 को छोड़कर।
उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्ग के नेता
साल 1989 की बात है जब पूरे देश में मंडल-कमंडल की राजनीति प्रारंभ हो रही थी। पिछड़ी जातियां ताकत के रूप में उभर रही थीं। कल्याण सिंह (Kalyan Singh) भी भाजपा में पिछड़ा वर्ग के सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे। 1991 में जब भाजपा की यूपी में सरकार बनी तो कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।
1997 में फिर बने मुख्यमंत्री
1997 में वह फिर मुख्यमंत्री रहे लेकिन वह अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री नहीं रह सके। उनको कुछ ही दिनों के बाद 1999 में हटा दिया गया। भाजपा की अंतर्कलह सामने आई। भाजपा ने सत्ता की कमान वयोवृद्ध नेता राम प्रकाश गुप्ता को दे दी। लेकिन कुछ दिनों बाद वह भी बदल दिये गए। राम प्रकाश गुप्ता की जगह राजनाथ सिंह नए मुख्यमंत्री बने।
कल्याण सिंह बागी हुए
कल्याण सिंह (Kalyan Singh) पद से हटाए जाने के बाद बगावत कर दिए। वह राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाये। चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान हुआ। कल्याण सिंह कुछ समय के लिए समाजवादी पार्टी के साथ भी रहे।
फिर भाजपा में आ गए
काफी सालों तक भाजपा से नाराज रहे कल्याण ने कुछ सालों बाद वापस हुए। भाजपा जब केंद्र की सत्ता में आई तो राज्यपाल बनाया गया।
अलीगढ़ में जन्में और यही हुआ राजनीतिक उदय
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अतरौली, अलीगढ़ में हुआ था। उन्होंने बीए तक पढ़ाई की और फिर पब्लिक लाइफ में उतर गए। भारतीय जनसंघ के साथ राजनीति की शुरुआत की और आगे चलकर एक लंबा समय भारतीय जनता पार्टी के साथ बिताया। UP के बड़े नेता रहे, दो बार मुख्यमंत्री भी रहे. पहली बार जून 1991 से दिसंबर 1992 तक. फिर बाबरी मस्जिद कांड होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कल्याण सिंह सितंबर 1997 से लेकर नवंबर 1999 तक फिर सूबे के CM रहे।