US से PM मोदी को मिली कौन सी ‘शक्ति’? जानिए असैन्य परमाणु समझौते से इसकी क्यों हो रही तुलना​

 India-US Deal: क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए पीएम मोदी अमेरिका से शक्ति लाने में कामयाब हो गए. अब यही शक्ति देश को मजबूती देगा…

Modi Biden deal: अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन (Joe Biden) और भारत के प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अगली पीढ़ी के दूरसंचार, उन्नत सेंसिंग और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित एक नया सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र (Semiconductor Fabrication Plant) स्थापित करने का फैसला किया है. यह संयंत्र इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के उद्देश्य से स्थापित किया जाएगा. यह भारत सेमी, 3आरडीटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच एक रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी द्वारा शुरू किया जाएगा.

अधिक जानकारी:

एक ऐतिहासिक क्षण में, भारत में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा निर्माण प्लांट की घोषणा भारत सेमी, 3rdiTech और यूएस स्पेस फोर्स के बीच एक प्रौद्योगिकी साझेदारी के रूप में की गई है.यह अपनी तरह का पहला भारत-अमेरिका सेमीकंडक्टर निर्माण सहयोग है. यह पहली बार है कि अमेरिकी सेना भारत के साथ इन अत्यधिक मूल्यवान प्रौद्योगिकियों के लिए प्रौद्योगिकी साझेदारी करने पर सहमत हुई है. यह असैन्य परमाणु समझौते जितना ही शक्तिशाली एक निर्णायक क्षण है.यह निर्माण संयंत्र न केवल भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला मल्टी मटेरियल निर्माण संयंत्र होगा. शक्ति नामक यह भारत का सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र क्वाड में भी अपनी तरह का पहला निर्माण संयंत्र होगा.यह निर्माण संयंत्र आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए तीन आवश्यक स्तंभों उन्नत सेंसिंग, उन्नत संचार और उच्च वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर ध्यान केंद्रित करेगा. इन तीनों का रेलवे, दूरसंचार के बुनियादी ढांचे, डेटा सेंटर और हरित ऊर्जा जैसे वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी काफी उपयोग है.ये सेमीकंडक्टर्स कंपाउंड सेमीकंडक्टर परिवार के तहत आते हैं. इनके तीन मुख्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड हैं.यह भारत को चिप लेने वाले से चिप निर्माता बनाने के पीएम मोदी के दृष्टिकोण का हिस्सा है. यह निर्माण संयंत्र एक राष्ट्रीय संपत्ति बनेगा और इस क्षेत्र में एक सुरक्षा प्रदाता बनने के भारत के लक्ष्यों में मदद करेगा.किसी देश को सुरक्षा प्रदाता बनने के लिए प्रौद्योगिकी प्रदाता बनने की आवश्यकता होती है. यह टेक कूटनीति में एक बहुत बड़ी बात है और आने वाले वर्षों में इतिहास की किताबों में भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में दर्ज किए जाएगा.इन सेमीकंडक्टर्स का अकेले भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वर्तमान आयात बिल 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है. भारत और अमेरिका ने सेमीकंडक्टर्स पर विशेष ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण तकनीक पर केंद्रित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. आईसीईटी से वाणिज्य तक और वाणिज्य एमओयू से लेकर रणनीतिक व्यापार वार्ता तकपर समझौते हुए हैं.यह सही मायनों में पहला भारत अमेरिकी सेमीकंडक्टर निर्माण प्रोजेक्ट होगा. अतीत की अन्य परियोजनाओं में ओएसएटी का परीक्षण और असेंबली शामिल हैं, लेकिन यह खेल को बढ़ा रहा है और सही मायनों में चिप निर्माण की ओर बढ़ रहा है.इस प्रौद्योगिकी साझेदारी के बाद, भारत इस प्रकार के सेमीकंडक्टरों का निर्माण करने की क्षमता और जानकारी रखने वाले मुट्ठी भर विशिष्ट देशों में शामिल हो जाएगा.आईसीईटी और पीएम मोदी के आत्मनिर्भर दृष्टिकोण की सच्ची सफलता की कहानी भारत सेमी और 3आरडीटेक है. जनवरी 2023 में आईसीईटी के लॉन्च से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत के पहले कंपाउंड सेमीकंडक्टर निर्माण तक यह भारत सेमी और 3आरडीटेक के उभरने का इतिहास है.यह वास्तव में भारत और अमेरिका के बीच एक विन-विन वाली साझेदारी है. हालांकि.चीन इस प्रकार के सेमीकंडक्टरों को दोगुना कर रहा है और वर्तमान में प्रशांत क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं है. यह भारत की जीत है. यह अमेरिका के लिए भी एक जीत है. दोनों पहली बार टेक के क्षेत्र में ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनने जा रहे हैं.अमेरिकी अंतरिक्ष बल के साथ साझेदारी की प्रकृति प्रौद्योगिकी साझेदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण है. यह अंतरिक्ष बल की इस तरह की पहली अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है. अमेरिकी सेना अब तक हमारी क्षमताओं में विश्वास बनाने के लिए 3rdiTech के साथ पिछले 5 वर्षों से काम कर रही है.जिससे हम साझेदारी के इस अगले चरण में प्रवेश करने में सक्षम हो सकें. 3rdiTech और अमेरिकी अंतरिक्ष बल के साथ सहयोग की घोषणा पहली बार जून 2023 की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी. आगे की जानकारी दिल्ली जून 2024 iCET समीक्षा के दौरान घोषित की गई थी और अंत में इस निर्माण संयंत्र को संयुक्त रूप से बनाने की मुख्य योजनाओं की घोषणा डेलावेयर में द्विपक्षीय नेताओं की बैठक में 21 सितंबर 2024 को की गई थी.

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