December 1, 2024
Video: बांग्‍लादेश में 'भीड़ की कैद' में महिला पत्रकार, लोगों ने भारत समर्थक होने के लगाए आरोप

VIDEO: बांग्‍लादेश में ‘भीड़ की कैद’ में महिला पत्रकार, लोगों ने भारत समर्थक होने के लगाए आरोप​

ढाका में बांग्‍लादेशी महिला पत्रकार मुन्‍नी साहा को शनिवार की रात भीड़ ने घेर लिया और भारत का समर्थन करने के आरोप लगाए. पुलिस ने आकर महिला पत्रकार को 'भीड़ की कैद' से छुड़ाया.

ढाका में बांग्‍लादेशी महिला पत्रकार मुन्‍नी साहा को शनिवार की रात भीड़ ने घेर लिया और भारत का समर्थन करने के आरोप लगाए. पुलिस ने आकर महिला पत्रकार को ‘भीड़ की कैद’ से छुड़ाया.

“मैंने ऐसा कुछ करने की कोशिश नहीं की है… बांग्‍लादेश मेरा भी देश है. आप मेरे साथ ऐसा व्‍यवहार नहीं कर सकते…”, बांग्‍लादेश में शनिवार की रात को एक वरिष्‍ठ महिला पत्रकार मुन्नी साहा को भीड़ ने घेर लिया. लोग उस पर भारत का समर्थक होने का आरोप लगा रहे थे. कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि वो गलत रिपोर्टिंग कर बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने में मदद कर रही है. बांग्लादेश में भारत के खिलाफ इस समय क्‍या माहौल है, ये घटना बयां कर रही है. वहां अगर कोई सरकार की आलोचना भी कर रहा है, तो उसे भारत का समर्थक माना जा रहा है.

‘भीड़ की कैद’ में महिला पत्रकार

भीड़ ने ढाका में जब पत्रकार मुन्नी साहा को घेर लिया और उन पर गलत सूचना फैलाने और “बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने के लिए काम करने” का आरोप लगाया, तो वह कहती रहीं, “यह भी मेरा देश है.”लेकिन भीड़ ने उनकी एक न सुनी. इस दौरान महिला पत्रकार किस ट्रोमा से गुजरी होगी, इसका अंदाजा लगायाा जा सकता है. आख़िरकार पुलिस की एक टीम आई और महिला पत्रकार को ‘भीड़ की कैद’ से छुड़ाया. हैरानी की यह देखने को मिली कि इसके बाद ढाका पुलिस ने मुन्‍नी साहा को हिरासत में ले लिया और थाने ले गई.

কারওয়ানবাজার থেকে সাংবাদিক মুন্নী সাহা গ্রেপ্তার |
Munni Saha Arrest | Channel 24 pic.twitter.com/xq7x0HHkzd

— Md. Sohel Rana (@mdsohelrana7707) December 1, 2024

वांटेड थीं महिला पत्रकार साहा!

बांग्लादेश मीडिया ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है. स्‍थानीय अखबारों की रिपोर्टों के अनुसार, ‘मुन्‍नी साहा देश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक छात्र की मौत से जुड़े मामले में वांटेड थीं, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटना पड़ा था.’ पुलिस ने बताया कि मुन्‍नी साहा को ढाका के कवरान बाजार इलाके से बचाया गया, जहां भीड़ ने उन्हें घेर लिया था.

पैनिक अटैक का करना पड़ा सामना

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी रेजाउल करीम मल्लिक ने द डेली स्टार न्यूजपेपर को बताया, “लोगों ने साहा को पुलिस को सौंप दिया. उन्‍हें पैनिक अटैक का सामना करना पड़ा. हमने उनकी हेल्‍थ कंडीशन और बात को ध्‍यान में रखते हुए कि वह एक महिला पत्रकार है, उसे रिहा कर दिया है. साहा को अदालत से जमानत लेने और भविष्य में पुलिस सम्मन का पालन करने के लिए कहा गया है.”

बांग्‍लादेश पत्रकार वीडियो हुआ वायरल

इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साहा भीड़ से घिरी हुई दिखाई दे रही हैं. इस दौरान एक शख्‍स उन पर 2009 के बांग्लादेश राइफल्स विद्रोह के संबंध में लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सुनाई दे रहा है, जिसमें 57 लोगों की जान चली गई थी. शख्‍स ने कहा, “आप इस देश को भारत का हिस्सा बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. छात्रों का खून आपके हाथों पर है. आप इस देश की नागरिक होकर इस देश को नुकसान कैसे पहुंचा सकती हैं?” इस पर साहा ने जवाब दिया, “मैंने कैसे नुकसान पहुंचाया है? यह मेरा भी देश है.”

55 वर्षीय पत्रकार बंगाली चैनल एटीएन न्यूज के पूर्व समाचार प्रमुख हैं. शेख हसीना प्रशासन के गिरने के बाद, उन पर और कई अन्य पत्रकारों पर मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया. बता दें कि बांग्‍लादेश में इन दिनों हिंदू मंदिरों पर लगातार हमले हो रहे हैं.

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