Shubh vivah muhurat : अगर आपके परिवार या दोस्तों में भी इस सीजन में शादी हो रही है, तो इन खास दिनों पर होने वाले समारोह का हिस्सा बनें और खुशियों में शरीक हों. ये मौके केवल रस्में निभाने का अवसर नहीं बल्कि जीवनभर की यादें संजोने का समय होते हैं.
Vivah Muhurat November December 2024 :विवाह हर परिवार के लिए एक ऐसा आयोजन है, जो न केवल दो लोगों को बल्कि दो परिवारों को भी जोड़ता है. हिंदू धर्म में विवाह को जीवन के 16 संस्कारों में से एक माना गया है और शुभ मुहूर्त पर विवाह करने का विशेष महत्व है. देवउठनी एकादशी से शुभ कार्यों की शुरुआत हो चुकी है, और अब नवंबर और दिसंबर का महीना शादियों का सीजन बन गया है. इन महीनों में विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं, जिन पर पूरे देश में शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी.
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शुभ मुहूर्त: नवंबर 2024
नवंबर महीने 6 शुभ तिथियां इस प्रकार हैं:
22 नवंबर23 नवंबर24 नवंबर25 नवंबर26 नवंबर28 नवंबर
इन तिथियों पर विवाह के आयोजन के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और मांगलिक कार्यों का भी आयोजन किया जा सकता है.
शुभ मुहूर्त: दिसंबर 2024
दिसंबर का महीना भी शादियों के लिए काफी खास रहेगा. इस महीने में 10 शुभ तिथियां हैं, जो इस प्रकार हैं:
2 दिसंबर3 दिसंबर4 दिसंबर5 दिसंबर9 दिसंबर10 दिसंबर11 दिसंबर13 दिसंबर14 दिसंबर15 दिसंबर
इन तिथियों पर पूरे देश में विवाह समारोह आयोजित किए जाएंगे. दिसंबर में ये 15 तारीख तक ही संभव हैं, क्योंकि उसके बाद खरमास शुरू हो जाएगा.
16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत
ध्यान देने वाली बात यह है कि 16 दिसंबर से खरमास का आरंभ होगा, जो 15 जनवरी 2025 तक चलेगा. खरमास में विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, क्योंकि इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए, जो लोग इस साल शादी की योजना बना रहे हैं, उनके पास दिसंबर के पहले पखवाड़े तक ही समय है.
धार्मिक महत्व और परंपराएं
हिंदू धर्म में विवाह को केवल एक सामाजिक आयोजन नहीं बल्कि एक पवित्र संस्कार माना गया है. इस संस्कार को सफल और शुभ बनाने के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना अनिवार्य माना गया है. देवउठनी एकादशी से शुरू होने वाले समय को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है, और इस समय के दौरान विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
देवउठनी एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होने के साथ ही पूरे देश में मंदिरों, धर्मशालाओं और मैरिज हॉल में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं. पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी करना न केवल परिवार की परंपरा को निभाने का मौका देता है, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन भी बनाए रखता है.
शादी का सीजन और बाजारों की रौनक
वर्तमान में पूरे देश में शादी का सीजन पूरे जोर पर है. मैरिज हॉल, बैंक्वेट्स और रिसॉर्ट्स में आयोजन की बुकिंग काफी पहले ही पूरी हो चुकी है. बाजारों में भीड़ बढ़ गई है, जहां लोग कपड़े, गहने, और शादी से संबंधित अन्य सामग्रियों की खरीदारी कर रहे हैं. साज-सज्जा, कैटरिंग और वेडिंग प्लानिंग जैसी सेवाओं की मांग भी चरम पर है.
देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय परंपराओं के अनुसार शादियों का आयोजन किया जा रहा है. कहीं डीजे की धुन पर बारात सज रही है, तो कहीं पारंपरिक ढोल और नगाड़ों की गूंज सुनाई दे रही है. इन दिनों शादी समारोह न केवल परिवारों के लिए बल्कि मेहमानों के लिए भी खास आकर्षण बन जाते हैं.
परिवार और रिश्तों का बंधन
शादी केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों को जोड़ने का अवसर भी है. इस दौरान रिश्तेदार और दोस्त एक साथ आते हैं और खुशी के इन पलों को साझा करते हैं. ऐसे आयोजनों में न केवल नए रिश्ते बनते हैं, बल्कि पुराने संबंध भी और गहरे हो जाते हैं.
अगर आपके परिवार या दोस्तों में भी इस सीजन में शादी हो रही है, तो इन खास दिनों पर होने वाले समारोह का हिस्सा बनें और खुशियों में शरीक हों. ये मौके केवल रस्में निभाने का अवसर नहीं बल्कि जीवनभर की यादें संजोने का समय होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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