What is Sengol : भारत में नया संसद भवन (New Parliament Building) बनकर तैयार है। नई दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होने वाला है। पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) संसद के नए भवन उद्घाटन करेंगे। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में ठनी हुई है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने नई संसद भवन में रखे जाने वाली एक चीज के बारे में बताया। इसके बाद इसके बारे में जाने की उत्सुकता लोगों में उठी। अमित शाह ने बताया कि नए संसद भवन में सेंगोल (Sengol) रखा जाएगा। सेंगोल का भारतीय इतिहास में खास महत्व है। इसे नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा। आजादी मिलने के बाद सत्ता हस्तांतरण के रूप में सेंगोल को पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था।
Sengol क्या होता है?
सेंगोल एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है ‘धन से भरा हुआ।’ सेंगोल संस्कृत शब्द “संकु” से लिया गया भी माना जाता है जिसका अर्थ होता है “शंख”। हिंदू धर्म में शंख को काफी पवित्र माना जाता है। यह चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। पुरातन काल में सेंगोल को सम्राटों की शक्ति और अधिकार का प्रतीक माना जाता था। इसे राजदंड भी कहा जाता था। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो इस सेंगोल को अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक माना गया। अब नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अमित शाह ने बताया कि अभी तक इस सेंगोल को इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था।
क्या आप सेंगोल के डिजाइन के बारे में जानते हैं?
सेंगोल पांच फीट लंबी छड़ी होती है, जिसके सबसे ऊपर भगवान शिव के वाहन कहे जाने वाली नंदी विराजमान होते हैं। नंदी न्याय व निष्पक्षता को दर्शाते हैं। यह एक प्रकार का राजदंड है।
यह भारत की आज़ादी से जुड़ा है इतिहास
पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधीनम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया।थिरुवदुथुरै अधीनम के प्रतिनिधि श्री ला श्री कुमारस्वामी थम्बिरन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को सुनहरा राजदंड भेंट किया था। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हमारे देशवासियों को करने का संकेत माना गया। सेंगोल का आज़ादी का एक अहम ऐतिहासिक प्रतीक माना जाता है क्योंकि सेंगोल अंग्रेजो से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है। इसलिए इसे काफी खास माना जाता है।
चोल वंश से भी है जुड़ाव
सेंगोल का जुड़ाव चोल वंश से भी है। चोल वंश में जब सत्ता का हस्तांतरण होता था, तब गद्दी पर विराजमान राजा नए बनने वाले राजा को सेंगोल सौंपकर सत्ता का हस्तांतरण दर्शाता था। सेंगोल को हिंदी में राजदंड कहते हैं और चोल वंश में इसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण माना जाता था। चोल वंश में जब कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था, तब अपने उत्तराधिकारी को भी सेंगोल सौंपता था। सेंगोल सौंपना चोल वंश में एक अहम परंपरा मानी जाती थी।
कैसे बना सेंगोल, सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक?
चोल वंश में सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था। फिर अंग्रेजो से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण के बाद सेंगोल देश में सत्ता का प्रतीक बन गया। सेंगोल को आजाद भारत के प्रतीक के रूप में सौंपने का सुझाव महान विद्वान और संस्कृति के ज्ञाता सी राजगोपालाचारी ने दिया था।