Amit Shah on CAA : देश में लोकसभा चुनाव के पहले सीएए को लागू कर दिया गया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद विपक्षी दल इसे देश में धार्मिक ध्रुवीकरण पैदा करने की साजिश का आरोप लगाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह कानून तीन मुल्कों में प्रताड़ित समुदाय को राहत देने के लिए हैं। उन्होंने बताया कि पारसी और ईसाई सीएए के तहत पात्र क्यों हैं लेकिन मुस्लिम क्यों नहीं? शाह ने कहा कि सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है।
क्यों मुस्लिमों को छोड़कर अन्य धर्मों को सीएए के तहत नागरिकता?
अमित शाह ने कहा कि मेरा मानना है कि यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हम उन लोगों को आश्रय दें जो अखंड भारत का हिस्सा थे और धार्मिक उत्पीड़न सहे थे। अखंड भारत एक अखंड वृहद भारत की अवधारणा है जो आधुनिक अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत तक फैला हुआ है। शाह ने कहा कि विभाजन के समय पाकिस्तान की आबादी में हिंदू 23 प्रतिशत थे। अब यह गिरकर 3.7 प्रतिशत हो गया है। वे कहां गए? इतने सारे लोग यहां नहीं आए। जबरन धर्म परिवर्तन हुआ, उन्हें अपमानित किया गया, दोयम दर्जे का नागरिक माना गया। वे कहां जाएंगे?
गृह मंत्री ने कहा कि 1951 में बांग्लादेश की आबादी में हिंदू 22 प्रतिशत थे। 2011 में, यह घटकर 10 प्रतिशत रह गया। वे कहां गए?अफगानिस्तान में 1992 में लगभग 2 लाख सिख और हिंदू थे। अब 500 बचे हैं। क्या उन्हें अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीने का अधिकार नहीं है? जब भारत एक था, वे हमारे थे। वे हमारे भाई और बहन हैं और माताएं हैं।
शिया, बलूच और अहमदिया मुसलमान भी तो सताए गए हैं?
इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम भी यहां नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन उनके लिए एक अलग नियम है। संविधान में एक प्रावधान है। वे आवेदन कर सकते हैं और भारत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि सीएए तीन देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिनियम है, जो बिना किसी वैध दस्तावेज के सीमा पार कर गए हैं।
उन लोगों के बारे में क्या जिनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है?
अमित शाह ने कहा कि हम उन लोगों के लिए समाधान ढूंढेंगे जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं। लेकिन मेरे अनुमान के अनुसार, उनमें से 85 प्रतिशत से अधिक के पास दस्तावेज़ हैं।
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