World Wetland Day: बीते एक वर्ष में राज्य पक्षी सारस क्रेन का कुनबा पूर्वांचल में दोगुने से ज्यादा हो गया है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ने यह आंकड़ा पूर्वांचल के 10 जिलों में सारसों की गिनती के बाद जारी किया है।
24 दिसंबर को जारी की गई डब्ल्यूटीआई की रिपोर्ट के अनुसार निगरानी वाले 10 जिलों में सारस क्रेन की संख्या बढ़कर 2907 हो गई है। पिछले सर्वेक्षण में यह संख्या 1420 थी।
पिछली बार की गई गिनती में 101 घोसले एवं 1420 सारस क्रेन (1087 व्यस्क एवं 333 चूजे) मिले थे। इस बार कुल 98 स्वयंसेवकों की ओर से किए गए सर्वेक्षण में 142 घोसले और 2907 (2236 व्यस्क एवं 671 चूजे) सारस क्रेन मिले।
हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अनिल तिवारी बताते हैं कि सारस क्रेन की संख्या में इजाफे का श्रेय पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘अमृत सरोवर योजना’ के तहत तालाब -पोखरों के रखरखाव और राज्य पक्षी का दर्जा मिलने के बाद सारस क्रेन के प्रति बढ़ती जागरूकता को दिया जा सकता है।
जून से शुरू होता है ब्रीडिंग सीजन
डब्ल्यूटीआई पूर्वांचल के 10 जिलों बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और शाहजहांपुर में सर्वेक्षण किया। जिसमें बहराइच, अयोध्या में 6-6, बलरामपुर, बाराबंकी में 5-5, कुशीनगर में 22, महराजगंज में 48, संतकबीरनगर 12, श्रावस्ती 15, शाहजहांपुर 09 और सिद्धार्थनगर में कुल 14 सारस क्रेन के घोसले मिले। सारस केन का ब्रीडिंग सीजन जून से शुरू होता है और जुलाई-अगस्त माह में अंडे से बच्चे निकलते हैं। इस वजह से इस घोसलों को जुलाई-अगस्त में ही चिन्हित किया गया था।
हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका पर्यावरण के क्षेत्र में गोरखपुर रत्न ने सम्मानित डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि अकेले गोरखपुर में सारस क्रेन से जुड़ी फिल्मों की 30 से ज्यादा स्क्रिनिंग अपनी फिल्म श्रृंखला फिल्म फॉर ह्युमैनिटी में स्कूल कालेजों में छात्रों के मध्य किया है। जागरूकता से ही हम राजकीय पक्षी सारस क्रेन का संरक्षण कर सकते हैं।
महराजगंज में सर्वाधिक 1067 सारस क्रेन मिले
डब्ल्यूटीआई की ‘सेक्यूरिंग वेटलैंड इन एग्रीकल्चर डोमिनेटेड लैंडस्केप इन ईस्टर्न यूपी’ की रिपोर्ट के मुताबिक सर्वेक्षण में महराजगंज में सर्वाधिक 1067, सिद्धार्थनगर में 466, संतकबीरनगर में 426, बहराइच में 112, बलरामपुर में 96, बाराबंकी में 119, अयोध्या में 155, कुशीनगर में 154, श्रावस्ती में 129 और शाहजहांपुर में 183 सारस क्रेन मिले।
जीवन काल में सिर्फ एक बार जोड़ा बनाता है सारस क्रेन
सारस क्रेन अपने जीवन काल में मात्र एक बार जोड़ा बनाता है। वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ आरके सिंह ने बताया कि साथी की मृत्यु होने पर दूसरा भी खाना-पीना छोड़कर प्राण त्याग देता है। मादा एक बार में दो से तीन अंडे देती। 30 से 32 दिन में अंडे से चूजे बाहर आ जाते हैं। नर-मादा दोनों मिलकर चूजों का 30 दिन पोषण करते हैं। तकरीबन 2 माह में चूजे उड़ान भरने लगते हैं।
पूर्वांचल में राज्य पक्षी सारस की आबादी बढ़ रही है। एक दशक से वेटलैंड के आस-पास रहने वाले किसानों को जागरूक कर सारस के घोसलों के सामुदायिक संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। ‘किसानों के सारस’ गतिविधि से निरंतर लोगों को जोड़ा जा रहा है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षो में इनकी संख्या और बेहतर होगी।
डॉ. समीर कुमार सिन्हा, हेड आफ कंजरवेशन, डब्ल्यूटीआई