महादेव शिव की यह अनोखी होली रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन मनाने की परंपरा रही है। यह होली महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली जाती है।
वाराणसी न्यूज
शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा…’,‘अड़भंगी क चोला उतार शिव दुल्हा बना जिम्मेदार’, आदि हल्दी के पारंपरिक शिवगीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया।