Gita Press Free Ram Charit Manas download: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। रामलला के भव्य मंदिर की तैयारियों से पूरे देश में उत्साह है। राममय हुए देश में रामचरितमानस की मांग भी बढ़ी है। रामचरितमानस प्रकाशित करने वाले गीता प्रेस की मानें तो वह डिमांड पूरा करने में असमर्थ होने की स्थिति और बढ़ती मांगों को देखते हुए फ्री डाउनलोड की अनुमति देने जा रहा है।
गीता प्रेस ने जारी किया आधिकारिक बयान
गीता प्रेस के एक अधिकारी ने कहा कि गीता प्रेस अपनी वेबसाइट से रामचरितमानस को मुफ्त डाउनलोड करने की अनुमति देगा। प्रेस 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से पहले पवित्र पुस्तक की बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ है।
प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि 2022 में रामचरितमानस की लगभग 75,000 प्रतियां छापी गई और उसे वितरित की गई। लेकिन अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा के बाद से पुस्तक की मांग कई गुना बढ़ गई है। त्रिपाठी ने कहा कि सीमित स्थान के कारण, हम रामचरितमानस की छपाई और वितरण की मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं।
अचानक से लाखों कॉपी छापने में असमर्थ
लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि हमारे पास रामचरितमानस की अचानक 2 लाख से 4 लाख प्रतियां छापने और उपलब्ध कराने की तैयारी नहीं है। पिछले महीने से हम पुस्तक की 1 लाख प्रतियां उपलब्ध कराने में कामयाब रहे हैं। इसके बाद भी मांग पूरी नहीं हो रही है। गीता प्रेस के पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है।
उन्होंने कहा कि कई जगहों पर, हमें विनम्रतापूर्वक कहना पड़ता है कि हमारे पास स्टॉक उपलब्ध नहीं है। हाल ही में हमें जयपुर से 50,000 रामचरितमानस की मांग मिली और भागलपुर से 10,000 प्रतियों की मांग आई, जिसे हमें अफसोस के साथ अस्वीकार करना पड़ा। यह पूरे देश के विभिन्न शहरों से आई मांग की स्थिति है।
इसलिए कर रहे डाउनलोड
लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं देने की वजह से हम लोगों ने यह तय किया है कि उसे ऑनलाइन फ्री डाउनलोड का ऑप्शन दिया जाएगा। वर्तमान में हम रामचरितमानस को गीता प्रेस की वेबसाइट पर अपलोड कर रहे हैं। मंगलवार से यह मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा। हम 15 दिनों के लिए यह सेवा प्रदान करेंगे जिससे 50,000 लोग इसे डाउनलोड कर सकेंगे। अगर डिमांड और बढ़ी तो यह संख्या एक लाख तक किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा (अभिषेक समारोह) की तारीख की घोषणा के बाद से रामचरितमानस की मांग बढ़ गई है और पुस्तक की आपूर्ति का दबाव बढ़ गया है। त्रिपाठी ने कहा, लोग इतने उत्साहित हैं कि वे बड़े पैमाने पर रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने पर विचार कर रहे हैं।
1923 में स्थापित हुई गीता प्रेस
1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि प्रेस ने 15 भाषाओं में 95 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। गोरखपुर स्थित प्रकाशक गीता प्रेस को पिछले साल गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गीता प्रेस का देशभर में स्टोर है।
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