July 7, 2024
गेंदा संह गन्ना शोध संस्थान

कभी एशिया स्तर पर पहचान रखने वाले कुशीनगर के गन्ना शोध संस्थान में फिर लौटेगी रौनक, शोध करने जुटेंगे छात्र

तमकुहीराज तहसील क्षेत्र में 58.97 एकड़ में भी होना है कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के लिए निर्माण

– सेवरही क्षेत्र में 300 एकड़ क्षेत्रफल में वर्ष 1977 में संजय गांधी ने किया था गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान का शिलान्यास


राकेश कुमार गौंड़

With the construction of Mahatma Buddha University of Agriculture and Technology, the face of education will change.: कभी एशिया स्तर पर अपनी पहचान रखने वाले गेंदा सिंह कुशीनगर के गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान और यहां के कृषि बीज प्रक्षेत्र की रौनक फिर से लौटेगी। क्योंकि महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुछ भाग यहां भी बनाए जाने हैं। इनका निर्माण 58.97 एकड़ में किया जाना है। अभी तहसील प्रशासन जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में जुटा है, लेकिन जिस दिन जिले में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का संचालन शुरू हो जाएगा, प्रैक्टिस और अन्य शोध के अध्ययन के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी आएंगे। इसकी स्थापना की घोषणा के बाद से ही क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं।

जिले के तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के बभनौली स्थित गन्ना प्रजनन एवं शोध संस्थान में 43 से अधिक गन्ना की प्रजातियों का शोध किया गया था, जिसकी मांग कई प्रदेशों में थी। वर्ष 1997 में यहां के निदेशक का शाहजहांपुर स्थानांतरण कर दिए जाने के बाद किसी की तैनाती नहीं हुई। धीरे-धीरे कई वैज्ञानिकों ने स्थानांतरण करा लिया, जिसके बाद गन्ना संस्थान की दशा खराब होना शुरू हो गया था।

जनपद में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना शुरू होने से इसके दिन बहुरने की संभावना बढ़ गई है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कुशीनगर जनपद में कुल 204.79 एकड़ भूमि में निर्माण होना है, जिसमें से 145.82 एकड़ में कुशीनगर में कृषि विश्वविद्यालय तथा शेष 58.97 एकड़ भूमि में गन्ना शोध संस्थान के पास खाली जमीन पर प्रयोेगशाला एवं अन्य भवनों का निर्माण प्रस्तावित है।
माना जा रहा है कि विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले दूर-दूर से विद्यार्थी यहां बने लैब व अन्य अध्ययन केंद्राें पर आने के बाद गन्ना शोध संस्थान पर भी जरुर आएंगे। सूत्रों की माने तो गन्ना शोध संस्थान को भी इस कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से जोड़ने की वार्ता चल रही है।

अभी गन्ना की दो प्रजातियों के बीज का होता है उत्पादन

गन्ना शोध संस्थान के संयुक्त निदेशक ने बताया कि मौजूदा समय में यहां कोसे 13452 और कोसे 8452 की प्रजातियों का उत्पादन किया जा रहा है। जिसे दूसरे जनपदों में भी भेजा जाता है। इसके अलावा यहां से शाहजहां की 13235 और लखनऊ की 14201 प्रजाति का गन्ना बीज भी उगाकर किसानों को दी जाती हैं। ये प्रजातियां अधिक उपज देने वाली हैं।

गन्ना की 43 प्रजातियों ने बनाई थी देशभर में पहचान, फिर शुरू हुई बदहाली

यहां तैयार की गई 43 प्रजातियों ने देश के पूर्वोत्तर व उत्तरी भाग में विशेषकर आसाम, पंजाब, बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। इसके बूते संस्थान को एशिया महाद्वीप का सर्वोत्तम गन्ना शोध संस्थान का दर्जा मिला था। संस्थान की बदहाली का दौर तब शुरु हुआ जब 1997 में शासन ने निदेशक का पद समाप्त कर इसे शाहजहांपुर गन्ना शोध संस्थान से संबद्ध कर दिया। वैज्ञानिकों ने अच्छे भविष्य की चाह में यहां से पलायन का विकल्प अपना लिया और फलस्वरुप शोध कार्य कम होते गए।

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि को शोध संस्थान से जोड़ने पर चल रही चर्चा

कुशीनगर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना से कृषि शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत वृद्धि होगी। उच्च स्तर पर इस शोध संस्थान को भी उससे जोड़ने पर चर्चा चल रही है, लेकिन निर्णय क्या होगा, यह नहीं बता सकते। फिर भी यहां कृषि विश्वविद्यालय से यहां छात्राें का आना-जाना बढ़ जाएगा। दूर-दूर के छात्रों को अध्ययन का अवसर मिलेगा। मौजूदा समय में गन्ना की दो प्रजातियां तैयार की जा रही हैं। इसके अलावा इस गन्ना शोध संस्थान में जैव उर्वरक भी बनाए जा रहे हैं, जिससे किसान खेती में उन्नति हासिल कर रहे हैं। रिक्त पदों को भरने के लिए पत्र भेजा गया है।
-डॉ. सुभाषचंद्र सिंह, संयुक्त निदेशक, गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान, कुशीनगर

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