गोरखपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मंगलवार को गोरखपुर में फर्टिलाइजर प्लांट (Gorakhpur fertilizer plant) और एम्स (Gorakhpur AIIMS) का लोकार्पण करेंगे। 1990 से बंद इस फर्टिलाइजर प्लांट को चालू करने में 8,600 करोड़ की लागत आई है। फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (FCIL) की गोरखपुर इकाई की स्थापना 1969 में नेफ्था के साथ फीडस्टॉक के रूप में यूरिया उत्पादन के लिए की गई थी। लेकिन 1990 में बंद करने का तत्कालीन केंद्र सरकार ने फैसला ले लिया था। करीब दो दशक से फर्टिलाइजर को चालू कराने के लिए आंदोलन चल रहा था। 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में एक रैली के दौरान फर्टिलाइजर को चालू कराने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 2016 में फर्टिलाइजर की जमीन पर नई अत्याधुनिक फैक्ट्री की आधारशिला रखी गई।
100 लाख टन यूरिया आयात करता है भारत
इस प्लांट के शुरू होने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही पड़ोसी राज्यों के किसानों को भी यूरिया (Urea) की आपूर्ति की जा सकेगी। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के ही रोजगार पैदा होंगे। यही नहीं, कुशल और अकुशल मजदूरों को भी काम मिलेगा। यह संयंत्र लघु और मध्यम उद्योगों के विकास को सुविधाजनक बनाने में भी मदद करेगा। इसके बनने के बाद घरेलू खाद बाजार में दाम स्थिर हो सकेंगे। वर्तमान में यूरिया सालाना मांग 350 लाख टन है, जबकि उत्पादन महज 250 लाख टन ही है। हम अभी लगभग 100 लाख टन यूरिया आयात करते हैं, जिसका भुगतान हमें विदेशी मुद्रा में करना पड़ता है। इस प्लांट के शुरू होने से हमें बाहर से यूरिया नहीं खरीदनी पड़ेगी।
सरकार ने चालू किए बंद पड़े 5 यूरिया प्लांट
सरकार ने गोरखपुर, बिहार के बरौनी, झारखंड के सिंदरी, तेलंगाना में रामागुंडम और ओडिशा में तालचेर नामक 5 फर्टिलाइजर प्लांट्स को दोबारा चालू किया है। इन 5 प्लांट्स में देश के कुल यूरिया उत्पादन को प्रति वर्ष 60 लाख टन से अधिक बढ़ाने की क्षमता है।
एम्स गोरखपुर पूर्वांचल के साथ ही बिहार और नेपाल तक के लोगों को देगा स्वास्थ्य सेवाएं
प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) एम्स, गोरखपुर को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बना ये एम्स न केवल यूपी के पूर्वांचल के जिलों, बल्कि पड़ोसी बिहार और यहां तक कि नेपाल के लोगों को भी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराएगा। नए एम्स की स्थापना का विचार पूर्व प्रधानमत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण से आया था। उस समय उन्होंने एम्स, नई दिल्ली में उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं के साथ 6 नए अस्पतालों की स्थापना के लिए प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) की घोषणा की थी। इन्हें भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में स्थापित किया गया था।
इसके बाद यूपीए सरकार ने और नए एम्स के लिए रास्ता खोला। गोरखपुर में एम्स के लिए समाजवादी पार्टी की सरकार ने जमीन से लेकर अन्य सारी शर्तों को पूरा किया। इसके बाद बनी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एम्स निर्माण की राह को और तेज करते हुए इसको अमली जामा पहनाया।
देश में 15 नए एम्स स्थापित करने का विजन
पिछले 7 वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में 15 एम्स स्थापित किया गया। देश में गोरखपुर (UP), नागपुर (महाराष्ट्र), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), मंगलगिरी (आंध्र प्रदेश), बीबीनगर (तेलंगाना), बठिंडा (पंजाब), देवघर (झारखंड), गुवाहाटी (असम), बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश), विजयपुर (जम्मू), अवंतीपोरा (कश्मीर), राजकोट (गुजरात), मदुरै (तमिलनाडु), दरभंगा (बिहार) और मनेठी (हरियाणा) में एम्स बन रहे हैं, जो अलग-अलग चरणों में हैं।
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