- 20 फीट तक गया नीचे, पेयजल का संकट
- जून के पहले पखवारे में ही बदहाल हो चुकीं मां गंगा
- कई घाटों के तट पर जमा गाद पर उग आई है घास
- सर्वाधिक हरितिमा वाले क्षेत्र बीएचयू में पेड़ कटाई से छांव ढूंढना मुश्किल
- किसान बेहाल (Kashi Kisan) वाराणसी में 3923 एकड़ यानी 6276 बीघा भूमि अधिग्रहीत की जा रही
- लगभग 1,77,000 की आबादी के प्रभावित होने का अंदेशा
डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी: कहने को भले ही मौजूदा तपिश के ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज को जिम्मेदार ठहराया जाय, पर हकीकत है कि इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। हम सभी में शासन-प्रशासन भी शामिल है। शामिल क्या है वो आमजन से कहीं ज्यादा जिम्मेदार है। आलम ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिछले 10 साल में काशी का आनंद वन मरुस्थल में तब्दील हो चला है।
आम इंसान हो या पशु-पक्षी अथवा कीड़े-मकोड़े तक झुलसने को विवश हैं। कमरे से बाहर निकलना तो दूर, कमरों में पंखा हो या कूलर आग उगल रहे हैं। वातानुकूलित संयंत्र भी पर्याप्त ठंडक नहीं पहुंचा पा रहे। अगलगी की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। इन सब के पीछे लोग सबसे बड़ा कारण प्रकृति का अंधाधुंध दोहन, बेहिसाब, बेतहाशा पेड़ों की कटाई जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मां गंगा का हाल सबसे बुरा है।
पिछले डेढ दशक में वाराणसी में गंगा इस साल रसातल की ओर बढ़ चुकी हैं। घाट किनारे रहने वाले बुजुर्गों और नाविकों की मानें तो गंगा का जल तकरीबन 20 फीट तक नीचे जा चुका है। ये हाल जून के पहले पखवारे का है। अब तो पेयजल का संकट उतप्न्न होने का खतरा पैदा हो गया है। जलकल विभाग ने सिंचाई विभाग से कानपुर बैराज से ज्यादा मात्रा में पानी छोड़ने का आग्रह किया है।
नाव चलाने से लेकर स्नान तक में हो रही मुश्किल
वाराणसी में गंगा का इतना बुरा हाल हो गया है कि नाव चलाने से लेकर स्नान तक करना दुरूह हो चला है। हालात इतने बुरे हो चले हैं कि इतना भी पानी नहीं रहा कि नाविक पतवार चला सकें। उनकी रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो चला है। उधर जल स्तर इतना नीचे जा चुका है कि घाटों को बचाने के लिए तकरीबन 70 साल पहले जो बोल्डर लगाए गए थे वो दिखने लगे हैं। ऐसे में स्नानार्थियों को इन बोल्डर से चोट लगने लगी है।
गंगा में गोता लगाने वाले तैराकों को लगातार ताकीद किया जा रहा है कि वो छलांग न लगाएं, घायल हो सकते हैं। सिर में चोट लगने की सूरत में बड़ा हादसा हो सकता है। ये स्थिति सिंधिया घाट और राजा चेतसिंह घाट पर बनी है। नौकायन करने वालों को बिठाने और उन्हें किनारे तक पहुंचाने के चक्कर में नाव क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
नाविक बताते हैं कि तुलसी घाट से सक्का घाट के बीच दर्जनों ऐसे घाट है जहां एक मंजिल तक जल स्तर नीचे चला गया है। पांडेय घाट के नाविकों का कहना है कि वो जहां से सवारी बिठाया करते थे वहां 20-25 फीट तक नीचे जा चुका है गंगा जल।
बैराज से पानी छोड़ने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं
हालात इतने बदतर हो चले हैं कि पिछले दो साल से बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल (2023) में एक से 13 जून के बीच गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। इस बार (2024) 01-05 जून के बीच 57.90 मीटर पर गंगा का जलस्तर स्थिर रहने के बाद इसमें लगातार गिरावट हो रही है।
तीन वर्षों में एक से 13 जून तक काशी में गंगा का जलस्तर
2022
- 01 जून 58.80 मीटर
- 02 जून 58.79 मीटर
- 03 जून 58.72 मीटर
- 04 जून 58.65 मीटर
- 05 जून 58.64 मीटर
- 06 जून 58.64 मीटर
- 07 जून 58.68 मीटर
- 08 जून 58.69 मीटर
- 09 जून 58.75 मीटर
- 10 जून 58.77 मीटर
- 11 जून 58.73 मीटर
- 12 जून 58.64 मीटर
- 13 जून 58.58 मीटर
2023
- 01 जून 58.67 मीटर
- 02जून 58.66 मीटर
- 03 जून 58.62 मीटर
- 04 जून 58.59 मीटर
- 05 जून 58.55 मीटर
- 06 जून 58.54 मीटर
- 07 जून 58.53 मीटर
- 08 जून 58.53 मीटर
- 09 जून 58.53 मीटर
- 10 जून 58.53 मीटर
- 11 जून 58.50 मीटर
- 12 जून 58.46 मीटर
- 13 जून 58.40 मीटर
2024
- 01 जून 57.90 मीटर
- 02 जून 57.90 मीटर
- 03 जून 57.90 मीटर
- 04 जून 57.90 मीटर
- 05 जून 57.90 मीटर
- 06 जून 57.88 मीटर
- 07 जून 57.83 मीटर
- 08 जून 57.78 मीटर
- 09 जून 57.74 मीटर
- 10 जून 57.70 मीटर
- 11 जून 57.75 मीटर
- 12 जून 57.74 मीटर
- 13 जून 57.71 मीटर
बीएचयू में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
उधर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से शहर का सबसे हरियाली वाला क्षेत्र भी रेगिस्तान में तब्दील होता नजर आने लगा है। हाल ही में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो ओम शंकर ने अपने 20 दिन के उपवास के दौरान ही इसका खुलासा किय था। उसकी पड़ताल करने पर हकीकत साफ नजर आई।
इस विश्वविद्यालय में संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने खुद ये पौधे रोपे थे जो वृक्ष बन कर परिसर को हरियालीयुक्त बनाए थे। गर्मी चाहे जितनी हो सड़कों पर धूप की पहुंच नहीं होती रही जिससे राहगीरों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। अब वो माहौल नहीं रहा। सड़क किनारे के पेड़ों को काट कर बेच दिया गया है।
अन्नदाता बेहाल, पौने दो लाख की आबादी प्रभावित
विकास के नाम पर किसानों की जमीनों के मनमाने तरीके से अधिग्रहण के चलते न केवल किसान बल्कि उनका पूरा परिवार प्रभावित हो रहा है। इसमें कुछ ऐसी योजनाएं भी हैं जो 1998 में बनीं पर उन पर अमली जामा आज तक नहीं पहुंचाया जा सका है। योजना नियमानुसार स्वतः ही निरस्त हो गईं। बावजूद इसके शासन प्रशासन किसानों को जमीन वापस नहीं कर रहा। ये मामला इलाहाबाज उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक में लंबित है। किसान कई बार बड़ा आंदोलन कर चुके हैं। प्रधानमंत्री तक तो उनकी पहुंच हो नहीं सकती, वो अपने सांसद को भी अपनी पीड़ा साझा नहीं कर पाते हैं।
वाराणसी में 3923 एकड़ (6276 बीघा) भूमि अधिग्रहण, किसान बेहाल
बनारस में विविध योजनाओं के लिए कृषि योग्य भूमि का हो रहा अधिग्रहण। इसमें से प्रमुख निम्नवत हैं….
- ट्रांसपोर्ट नगर योजना के अंतर्गत 214 एकड़ भूमि में प्रभावित चार गांव बैरवन, करनाडाडी, सराय मोहन व मिल्किचक
- आवासीय कालोनी व वर्ल्ड सिटी एक्सपो में 7 गांवों की 377 एकड़ भूमि का अधिग्रहण ग्राम बझिया, बिशुनपुर, देवनाथपुर, हरहुआ, रामसिंहपुर, सिंहपुर, वाजिदपुर में।
- वरुणा विहार के लिए खेवसीपुर में 208 एकड़ भूमि।
- मेडिसिटी के लिए ऐढ़े के निकट लालपुर में 200 एकड़
- सारनाथ क्षेत्र के सारनाथ सिंहपुर, सथवां, हसनपुर, पतरेवा और ह्दृयपुर में वैदिक सिटी के लिए 204 एकड़।
- रिंग रोड फेज-3 के निकट मढ़नी में 207 एकड़ में विद्या निकेतन के लिए ।
- गंजारी में प्रस्तावित स्टेडियम के आसपास 208 एकड़ में स्पोट् र्स सिटी।
- काशी द्वार 925 एकड़ में आवास विकास आवासीय योजना के लिए समोगरा के 71, कैथोली के 123, चकइंदर के 112, पिंडरा के 417, बेलवां के 249, पिंडराई के 6, पुरारघुनाथपुर के 115, बसनी के 152, बहुतरा के 203, जद्दूपुर के 124 नगर खसरों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 45.419 हेक्टेयर जमीन ग्राम समाज और 0.887 हेक्टेयर जमीन आबादी के रूप में दर्ज है।
- जीटी रोड आवासीय योजना के अंतर्गत गोल्ड सिटी व स्मार्ट सिटी 1050 एकड़ में जिले के ग्राम हांसापुर, मीरापुर, सगहट, मिसिरपुर, निबिया, नकाईन, सदलपुर, कादीपुर, रामपुर व फरीदपुर की जमीन।
- 81 एकड़ में गोबर गैस प्लांट पनियरा , धानापुर, सांसापुर
- रिंग रोड फेज 2 राजातालाब से हरहुआ तक 18 गांव 249 एकड़ 16.8 किलोमीटर। इससे प्रभावित ग्राम हैं, भीखमपुर,रखौना,मेहदीगंज,हरपुर, हरसोस,गंजारी,हरदासपुर,कुरौना, नरैचा,परमपुर,संजोई, सभईपुर,अनंतपुर,गोपीपुर, विढलपुर,रज्जीपुर,खेवसीपुर,लोहरापुर।
प्रभावित जनसंख्या लगभग 177000
- ट्रांसपोर्ट नगर लगभग 15000
- काशी द्वार लगभग 20000
- जी टी रोड आवासीय योजना लगभग 35000
- स्पोर्ट सिटी लगभग 10000
- वैदिक सिटी लगभग 12000
- विद्या निकेतन लगभग 7000
- गोबर गैस प्लांट लगभग 5000
- वर्ड सिटी एक्सपो लगभग 25000
- वरुणा विहार लगभग 8000
- मेडिसिटी लगभग 5000
- रिंग रोड फेज 2 राजातालाब से हरहुआ तक लगभग 35000
वाराणसी में 73 गांव भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हो रहे
वाराणसी में 73 गांव भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हो रहे हैं ऐसे में इन किसानों ने प्रधानमंत्री और अपने सांसद के नाम खुला पत्र जारी किया है। जो निम्नवत है…..
माननीय प्रधान मंत्री जी
भारत, नई दिल्ली/
सांसद, वाराणसी।
विषय- विविध योजनाओ से प्रभावित किसानो से आगामी 18 जून 2024 को किसानो के प्रतिनिधिमंडल से संवाद के संदर्भ में-
महोदय,
केस-1
आपके संसदीय क्षेत्र के वाराणसी की विविध विकास योजनाओ के लिए जो भूमि अधिग्रहीत की जा रही है उसमें भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 का अनुपालन नहीं हो रहा जिससे किसान परेशान एवं विचलित है। कारण कि उक्त कानून का खुला उलंघन होने से किसानो के जीविकोपार्जन एवं परिवार के गुजर बसर पर संकट आ गया है। 1998 से मोहनसराय ट्रान्सपोर्ट नगर की लंबिक योजना जिसको 2021 में शासन के निर्देश पर निरस्त कर जमीन डिनोटिफीकेशन की प्रक्रिया चल रही थी उसी बीच पुनः अवैधानिक रूप से कब्जे की कार्रवाई शुरू कर दी गई। विरोध करने पर बर्बर लाठीचार्ज कर किसानों के वैधानिक हक का खुलेआम हनन किया गया, जिसका मुकदमा आज भी माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद और उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में विचाराधीन है।
केस-2
रिंग रोड फेज 2 के लिए संबंधित क्षेत्र के किसान आपके विकास में सहभागी बनने के लिये संकल्पित है लेकिन प्रशासन ने अत्यंत आवश्यक नोटिस 3 घ जारी किए बिना मनमाना सर्वे रिपोर्ट देकर किसानो के हक अधिकार का हनन किया। किसान चाहते तो योजना निरस्तीकरण के निमित्त न्यायालय में मुकदमा दाखिल कर सकते थे लेकिन किसान केवल भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून के तहत उचित मुआवजा और पुनर्वास चाहते हैं जिसको प्रशासन पूर्णतया मनमानी करके वैधानिक अधिकारो का हनन कर रहा है।
केस-3
काशी द्वार योजना पूर्णतया किसान विरोधी होने के कारण, किसान योजना से सहमत नहीं है लेकिन प्रशासन जबरदस्ती योजना लागू कर किसानो के वैधानिक हक हकूक का हनन करने पर अमादा है जबकि भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 में स्पष्ट प्रावधान है कि योजना से प्रभावित 80% किसान सहमति नहीं देगे या 20%से अधिक किसान अगर योजना के खिलाफ आपत्ति कर देंगे तो योजना रद्द हो जाएगी। इसके आधार पर काशी द्वार योजना रद्द हो जानी चाहिए। लेकिन प्रशासन किसानो के साथ अवैधानिक कृत्य करके किसानो के धैर्य की परीक्षा ले रहा है।
केस-4
ऐसे ही जीटी रोड आवासीय योजना, स्पोर्ट्स सिटी, वरूणा बिहार, वैदिक सिटी, विद्या निकेतन, गोबर गैस प्लांट शाहंशाहपुर, वर्ल्ड सिटी एक्सपो एवं मेडिसिटी योजना से प्रभावित किसान शासन प्रशासन के अवैधानिक कृत्य से हैरान एवं परेशान हैं। इससे भाजपा के डबल इन्जन की सरकार विशेषकर आपकी शाख पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग रहा है जिसका कोपभाजन वाराणसी सहित चंदौली और मछलीशहर के चुनाव में भाजपा को होना पड़ा है, जबकि इसके पहले वाराणसी के लगभग 100% किसान आपके सम्मान में झूमकर तीनो लोकसभा क्षेत्रो के प्रत्याशियों को मत देते रहे।
किसान प्रतिनिधिमंडल से वार्ता का आग्रह
श्रीमान जी उक्त योजनाओ से प्रभावित किसानो का प्रतिनिधिमंडल आपसे संवाद कर अपनी समस्या भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 के आधार पर वैधानिक तरीके से त्वरित निस्तारण कराकर विकास में सहभागी बनना चाहते हैं और जो योजना पूर्णतया अवैधानिक या अव्यवहारिक है उसको भी उक्त कानून के आधार पर निरस्त कराकर न्यायोचित कार्य कराकर आपके सानिध्य में वाराणसी के विकास में सहभागी बनना चाहते हैं लेकिन अगर वाराणसी के उक्त 11 योजनाओ के 73 गांवो के लाखों परेशान किसानो से बिना संवाद किये आपका 18 जून का मेहदीगंज में आयोजित किसान संवाद वाराणसी के किसानो के साथ धोखा होगा क्योकि उक्त किसान संवाद पीड़ित वाराणसी के किसानो को और चिढ़ाने और उनके पीड़ा पर नमक लगाने वाला होगा जिसको वाराणसी का किसान सहन नहीं कर पायेगा।
सादर