September 20, 2024
Sanjay Nishad

योगी आदित्यनाथ सरकार के मिनिस्टर पर गैर जमानती वारंट से हड़कंप, जेल न जाना पड़ जाए

कसरवल कांड (Kasarwal Kand) के बाद निषादों में संजय निषाद का सम्मान बढ़ गया। वह निषादों को एकजुट करने में लग गए।

गोरखपुर। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। यह वारंट गोरखपुर के सीजेएम कोर्ट (Gorakhpur CJM Court) ने जारी किया है। सीजेएम जगन्नाथ ने उन्हें 10 अगस्त तक गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने को कहा है। संजय निषाद की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी गोरखपुर के शाहपुर पुलिस को दी गई है।

जिस आंदोलन से नेता बने संजय निषाद, उसी में जारी हुआ वारंट

गिरफ्तारी का यह आदेश 7 जून 2015 को हुए एक आंदोलन से जुड़ा है। संजय निषाद (Sanjay Nishad) और उनके समर्थक सरकारी नौकरी में निषादों को 5 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे थे। यह आंदोलन गोरखपुर के सहजनवा क्षेत्र के कसरवल में चल रहा था। कसरवल कांड से फेमस इस आंदोलन के दौरान बवाल हो गया था। आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक जाम कर बैठे थे। पुलिस ने हटाने का प्रयास किया। लेकिन आंदोलनकारी उग्र हो गए। आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दी। मामला बिगड़ने पर पुलिस फॉयरिंग भी हुई। पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हुए झड़प में एक युवक की जान चली गई।

कसरवल कांड के मुख्य आरोपी बनाए गए संजय निषाद

प्रदर्शनकारियों की ओर से आरोप लगाया गया था कि उनके साथी की मौत पुलिस की गोली से हुई। इसके बाद वह उग्र हो गए और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना में 24 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। बवाल के बाद सहजनवां थानाध्यक्ष श्यामलाल ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) समेत कई लोगों के खिलाफ बलवा, आगजनी और तोड़फोड़ का मामला दर्ज किया था। संजय निषाद इस केस में कई महीने जेल भी होकर आए हैं।

आंदोलन के बाद निषादों के नेता बन गए संजय निषाद

कसरवल कांड (Kasarwal Kand) के बाद निषादों में संजय निषाद का सम्मान बढ़ गया। वह निषादों को एकजुट करने में लग गए। निषाद पार्टी बनाई और डॉ. अयूब की पीस पार्टी से गठबंधन करके 2017 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि, कोई खास सफलता नहीं मिली। परंतु योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके दिन पलटे। यहां गोरखपुर संसदीय सीट पर हुए उप चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बना दिया।

यह उपचुनाव संजय निषाद के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने गोरखनाथ मंदिर की परंपरागत सीट पर कब्जा जमा लिया। बीजेपी के तत्कालीन क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल चुनाव हार गए। हालांकि, इसके बाद संजय निषाद ने पाला बदला और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया।

बीजेपी ने प्रवीण निषाद को संतकबीरनगर से चुनाव लड़ाया और वह संसद में पहुंचे। संजय निषाद स्वयं एमएलसी बने और उनका दूसरा पुत्र श्रवण निषाद 2022 के विधानसभा चुनाव में सहजनवा से विधायक है। संजय निषाद योगी कैबिनेट में काबीना मंत्री हैं। 2013 से पहले संजय निषाद गोरखपुर के गीता वाटिका रोट पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की क्लिनिक चलाते थे।

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.