Ram Mandir Pran Pratishtha: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि अयोध्या धाम में श्रीरामलला की प्राणप्रतिष्ठा समारोह को केवल भव्य कहना पर्याप्त नहीं लगता। इस परम पुनीत अवसर की प्रतीक्षा लगभग पांच सौ वर्षों से थी। श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के निमित्त बीती सदियों में अगणित व्यक्तियों ने अपने प्राण गंवाए,बहुतों ने अपना समस्त जीवन होम कर डाला।
पूर्व मंत्री ने कहा कि हम सबने वह दौर भी देखा, जब कुछ लोग व्यंग्य भरे भाव से मंदिर निर्माण की तारीख पूछा करते थे, मर्यादापुरुषोत्तम की मर्यादा के विरुद्ध टिप्पणियां किया करते थे। भगवान की जन्मस्थली किसी एक नगर, जनपद, प्रदेश और हमारे देश के वासियों की ही नहीं बल्कि संसार भर में फैले सारे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था से जुड़ी हुई है। प्राणप्रतिष्ठा का यह अवसर सच्चे अर्थों में देश और दुनिया भर के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसे शब्दों में बयान करना कतई संभव नहीं।
सदियां बीतती गईं लेकिन श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के संघर्ष की धार नहीं हुई कम
आरपीएन सिंह ने कहा कि सदियां बीतती गईं लेकिन श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के संघर्ष की धार कभी कुंद नहीं हुई। अनगिनत साधु-संत,अमीर-गरीब गृहस्थ,वृद्ध से लगायत युवकों ने इस यज्ञ में आहुतियां दीं किंतु उनका सपना अधूरा ही रहा। उन्होंने कहा कि आज भी आंदोलन से जुड़े बहुत से ऐसे लोग मौजूद हैं जिनके शरीर कमजोर हो गए हैं, नजर धुंधली हो चली है,लेकिन भगवान श्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा के समाचार ने उनमें जैसे नये प्राण फूंक दिये हैं।
पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की सफलता के पीछे असंख्य सनातन धर्मावलंबियों के बलिदान,त्याग और तपस्या के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विभिन्न आनुषांगिक संगठनों के अथक प्रयासों की भी महती भूमिका रही है। सही बात तो यह है कि इस आंदोलन में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष योगदान देनेवाले सबको जान पाना असंभव सा है।
सनातन के नायक हैं नरेंद्र मोदी
उन्होंने कहा कि श्रीरामलला की प्राणप्रतिष्ठा के आयोजन की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास जी मोदी के जिक्र के बिना पूरी हो ही नहीं सकती। सदियों तक लाखों-करोड़ों आस्थावान व्यक्तियों ने जो कल्पना की,जो सपने देखे उन्हें माननीय प्रधानमंत्री ने अपने दृष्टिकोण और दृढ़संकल्प से साकार कर दिखाया है। हमारे देश का इतिहास गवाह है, हर कालखण्ड में कोई न कोई ऐसा नायक आया जिससे सनातन शोभित हुआ। आज के दिन वह नायक नरेंद्र मोदी हैं।
आखिर में बस यही कहना है कि प्राणप्रतिष्ठा का आयोजन, श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में किसी रूप में सकारात्मक रुचि रखने वालों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अविस्मरणीय अवसर है।