UP Nagar Nikay Chunav Date 2023: यूपी में रविवार को राज्य चुनाव आयोग की ओर से निकाय चुनाव को लेकर तारीखों की घोषणा कर दी गई। इसी के साथ प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव आयोग ने रविवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस का चुनावों की तारीख का ऐलान किया है। आयोग के मुताबिक राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे। पहला चरण 4 मई और दूसरा 11 मई को होगा। मतों की गिनती 13 मई को की जाएगी।
पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 11 अप्रैल से प्रारंभ होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 17 अप्रैल है तो नाम वापसी व सिंबल आवंटन 21 अप्रैल को होगा।
ईवीएम से केवल महापौर और पार्षदों का चुनाव
राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, जिलों में महापौर और पार्षद के चुनाव ईवीएम (EVM) से कराए जाएंगे।नगर पालिका परिषद और पंचायत के चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। अधिसूचना जारी करते हुये राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि राज्य के 760 नगरीय निकाय चुनाव के अन्तर्गत कुल 14,684 पदों पर चुनाव होंगे। इसमें 17 महापौर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के लिये चुनाव होगा।
जानिए किस महापौर की सीट का क्या है हाल
आयोग द्वारा निर्वाचन की अधिसूचना जारी करने से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को नगर निगमों के महापौर, नगर परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्षों के लिए अंतिम आरक्षण सूची जारी की। अंतिम अधिसूचना के मुताबिक आगरा के महापौर सीट अनुसूचित जाति (महिला), झांसी की सीट अनुसूचित जाति(एससी), शाहजहांपुर और फिरोजाबाद की सीट ओबीसी (महिला), सहारनपुर और मेरठ की सीट ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है. वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन की आठ महापौर सीटें अनारक्षित होंगी। राज्य में 760 नगर निकायों के लिए जिसमें 17 नगर निगम की 199 नगर पालिका परिषद की और 544 नगर पंचायतों की आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के साथ दो दिन के अंदर इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने की इजाज़त दे दी थी। इससे पहले राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के 27 दिसंबर 2022 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।