महिला एसोसिएट प्रोफेसर ने लगाया आरोप, धरना भी दिया
वाराणसी। BHU की महिला एसोसिएट प्रोफ़ेसर ने धरना देकर दलित होने की वजह से उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
महिला प्रोफेसर का आरोप है कि उनके प्रमोशन को प्रभावित करने के लिए एलडब्लूपी (लीव विदाऊट पेमेंट) पर डाला जा रहा है क्योंकि वह दलित समाज से हैं।
19 साल से विवि में कार्यरत
धरने पर बैठी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की एसोसिएट प्रोफ़ेसर शोभना नार्लीकर ने बताया कि वह 19 सालों से विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। लेकिन उनकी seniority को कम करने के लिए एलडब्ल्यूपी दे दिया गया। जब अवकाश विभाग के एक अधिकारी से शिकायत की तो उन्होंने दुर्व्यवहार किया। इसके विरोध में उन्होंने अवकाश विभाग के कार्यालय में धरना शुरू किया था।अवकाश विभाग के एसओ के मिसबिहेव के खिलाफ व अपनी समस्याओं से अवगत कराने के लिए रजिस्ट्रार से बात की पर मेरी समस्या का हल नहीं निकला।
बार बार परेशान किया जा रहा
शोभना नार्लीकर ने आगे बताया कि रजिस्ट्रार को बताया कि वह रेग्यूलर जॉब कर रही हैं उसके बाद भी लीव विदाउट पेमेंट किया गया है ताकि मेरी सीनियारिटी पूरी तरह से प्रभावित हो। विभाग में होने के बावजूद रजिस्टर मंगवाया कि विभाग में हूं की नहीं। मेरी अटेंडेंस देखी और बीएचयू ने मुझे पूरी सेलेरी भी दी है। इसके बावजूद मेरे साथ गंदा खेल खेला जा रहा है।
दलित होने की वजह से एचओडी बनने से रोका
शोभना नार्लीकर ने आरोप लगाते हुए कहा कि केवल एक दलित महिला एचओडी न बने इसलिए तीन बार जब भी मेरी बारी आती है हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट बनने की तो तुरंत डीन को दिया जाता और मेरी सीनियरिटी को प्रभावित किया जाता है। रेग्यूलर सर्विस पर होने के बावजूद मुझे एलडब्लूपी पर डाला जाता है ताकि मेरी सर्विस खंडित हो जाए।
मैटरनिटी लीव में भी खेल
शोभना नार्लीकर ने कहा कि साल 2008 के मामले को ये 2021 से जोड़ रहे हैं जबकि इसका उससे कोई मतलब नहीं है। सभी जगह मेटरनिटी लीव 6 महीना होती है मैंने सिर्फ 3 महीना ली और वापस काम पर लौट आयी इसके अलावा चाइल्ड केयर लीव 2 साल होती है मैंने सिर्फ डेढ़ साल ली और और काम पर लौट आयी।
मेरे काम पर नहीं जाति पर हो बात
शोभना नार्लीकर ने आरोप लगाया कि यहां विश्वविद्यालय में डाक्यूमेंट पर बात न करके मेरी जाति और दलित होने की बात कर रहे हैं। शोभना ने मांग करते हुए कहा कि मेरी जो रेग्युलर सर्विस है उसे लीव विदाऊट पेमेंट की जगह रेग्यूलर किया जाए।