डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. Dhanteras2021 पर परंपरागत रूप से काशी स्थित मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन-पूजन को दो नवंबर धनतेरस को उमड़ेगा भक्तों का सैलाब। मां की स्वर्णमीय प्रतिमा के दर्शन-पूजन का यह सिलसिला चार दिन तक यानी अन्नकूट तक जारी रहेगा। पहले दिन यानी धनतेरस को महंत शंकर पुरी महाराज भक्तों को मां अन्नपूर्णा का खजाना (अप्रचलित पैसा व अन्न) वितरित करेंगे। अन्नकूट को मां अन्नपूर्णा को 56 भोग लगेगा उसके बाद सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरण होगा।
यह जानकारी मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने दी। बताया कि परंपरागत रूप से हर साल धनतेरस से शुरू होने वाली स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन इस वर्ष 02 नवंबर से (धनतेरस पर्व) से शुरू होगा जो 05 नवंबर अन्नकूट पर्व तक चलेगा। महंत पुरी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ और मां भगवती के आशीर्वाद से कोरोना संक्रमण काफी हद तक नियंत्रित हो चुका है, बावजूद इसके अभी सावधानी बरतनी जरूरी है, लिहाजा केंद्रीय व राज्य शासन की गाइडलाइन के तहत ही दर्शन-पूजन होगा।
कोरोना गाइडलाइन का होगा पूरा पालन
कोविड-19 के बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करवाते हुए भक्तों को दरबार में प्रवेश दिया जाएगा।
भक्तजन मंदिर के प्रथम तल पर स्थित माता की स्वर्ममयी प्रतिमा का दर्शन करेंगे। भक्तों को द्वार पर ही माता का खजाना और लावा वितरित किया जाएगा। केवल प्रथम दिन ही भक्त पीछे के रास्ते से राम मंदिर परिसर होते कालिका गली से निकास दिया जाएगा।
मंदिर के प्रबंधक काशी मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में जगह-जगह वालेंटियर तैनात किए जाएंगे। थर्मल स्कैनिंग और हैंड सेनेटाइजेशन के बाद भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही माता के दरबार में प्रवेश दिया जाएगा।
दो दर्जन cctv कैमरे लगाए गए
सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में दो दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। मंदिर परिसर में चिकित्सा व्यवस्था भी मुहैया की जाएगी। मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन छोटी दीपावली से अन्नकूट पर्व तक भोर में 4 बजे से रात्रि 11 बजे तक होगा। वीआईपी समय शाम 5 से 7 रहेगा। वृद्ध और दिव्यांगों के लिए दर्शन की सुगम व्यवस्था रहेगी।
मां अन्नपूर्णा मंदिर के आचार्य पंडित रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि करीब ढाई सौ साल पहले से यह परंपरा चली आ रही है। धनतेरस के दिन मां अन्नपूर्णा, माता लक्ष्मी और मां भूमि देवी के विग्रह के लिए कपाट खुलता है। मां की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन धनतेरस से चार दिन तक होते हैं। लेकिन खजाना केवल धनतेरस को ही वितरित किया जाता है। इस खजाने में जहां द्रव्य (पैसा) होता है तो धान और लावा का वितरण किया जाता है।
माता का दर्शन करने से दूर होगी दरिद्रता
मान्यता है कि इस धनतेरस के मौके पर माता का दर्शन -पूजन करने से भक्त के घर कभी दरिद्रता नहीं आती। घर परिवार में सुख शांति, आरोग्यता, ऐश्वर्य कायम रहता है। खास बात यह कि आज से चार दिनों तक जिन विग्रहों का दर्शन होता है उसमें काशीधिपति बाबा विश्वनाथ को माता से भिक्षा मांगते दर्शाया गया है। कहा कि मान्यता तो यह भी है कि मां अन्नपूर्णा के दरबार में एक बार भी हाजिरी लगाने वाला कभी भूखा नहीं रह सकता। यह भिक्षा माता ने काशीधिपति बाबा विश्वनाथ को दी है।
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