सड़क से सदन तक घिरी सरकार
- भारत सरकार ने किसानों को सड़क पर आने को किया मजबूर:कांग्रेस
- हक के लिए लड़ने वाला किसान खालिस्तानी हो गयाः शिवसेना
- किसानों पर कानून थोपना गलतः बसपा
- भाजपा ने अपने सांसदों को जारी किया व्हिप
नई दिल्ली। किसानों पर थोपे जा रहे तीनों कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से लेकर सदन तक माहौल गर्म है। शुक्रवार को भी विपक्षी दलों ने राज्यसभा में किसानों के पक्ष को जोरदार ढंग से उठाया। सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा जारी है और किसानों का मामला भी लगातार उठ रहा। राज्यसभा में विपक्ष ने सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इन तीनों कानूनों को कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में उठाया गया कदम बताया। कृषि मंत्री ने विपक्ष के हंगामे पर कहा कि विपक्ष बताए कि कृषि कानूनों में काला क्या है।
उधर, चारों तरफ से घिरी भाजपा सरकार ने अपने सांसदों को 8 से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।
हम कांग्रेस के गड्ढों को भर रहेःकृषि मंत्री
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। सरकार गांव, गरीब और किसानों के विकास लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। महामारी से निपटने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए। लॉकडाउन ने देश को अनुशासन में रहना सिखाया। गांव का विकास करने के लिए गांव में पैसा पहुंचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसी भी संशोधन के लिए तैयार है। संशोधन प्रस्ताव का मतलब यह नहीं है कि कानून में कोई कमी है। विपक्ष प्रावधान में एक भी कमी बताएं। किसान बताएं कि किस प्रावधान में क्या कमी है। खेती पानी से होती है। कांग्रेस केवल खून से खेती करना चाहती है। एक राज्य के लोगों में गलतफहमी है।
कृषि मंत्री ने बताया कि विपक्ष बताए कानून में काला क्या है। देश में विपक्ष उल्टी गंगा बहाना चाह रहा है। किसान नेता ये नहीं बता पाए कि कानून में कमी क्या है। किसान को सम्मान देने की कोशिश की। हमने संवेदनशीलता दिखाई। हम खून से नहीं करते खेती। खून से खेती कांग्रेस करती है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग के एक्ट में बताएं कि कहां लिखा है किसानों की जमीन चली जाएगी।
उन्होंने कहा कि हमने कांग्रेस के गड्ढे भरे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिश ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने की रही है।
भारत सरकार ने किसानों को सड़क पर आने को किया मजबूर
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और न्याय पाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जो स्थिति पैदा हुई है उसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है। मैं विरोध के दौरान मारे गए 194 किसानों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं। हम 26 जनवरी की हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं। किसी को भी उन पर हमला करने का अधिकार नहीं है जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। लाल किले की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में एक मत हो, एक विचार हो ये ना संभव है ना स्वीकार्य है।
हक के लिए लड़ने वाला खालिस्तानी हो गयाः शिवसेना
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि सरकार आंदोलन की एकजुटता तोड़ने में क्यों लगी है। जब किसान मुगलों से लड़े, अंग्रेजों से लड़े और कोरोना काल में लंगर बांट रहा था तो देशप्रेमी था। अब जब अपने हक की लड़ रहा है तो खलिस्तानी हो गया।
किसानों पर कानून थोपना गलतः बसपा
बसपा सांसद सतीश मिश्र ने कहा कि किसानों पर कानून थोपना गलत है। कृषि कानूनों में कई खामियां हैं। आप एमएसपी को कानून में क्यों नहीं डालते। कानूनों को थोपना ठीक नहीं है। तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। 26 जनवरी की घटना निंदनीय है। तिरंगे का अपमान करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। सांसद सतीश मिश्रा ने कहा, किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए आपने (सरकार) कंटीली तारें लगाई हैं। आपने यह उनके लिए नहीं बल्कि खुद के लिए किया है। आपने उनके पानी और बिजली की आपूर्ति और यहां तक कि शौचालयों को हटा दिया, यह सोचे बिना कि वहां महिलाएं भी हैं। यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। विरोध स्थलों के पास कीलें लगाई गई हैं। मुझे लगता है कि सरकार ने पाकिस्तान की सीमा पर इस तरह की तैयारी नहीं की होगी जैसा कि वह दिल्ली की सीमाओं पर कर रही है। अन्नादाताओं को राष्ट्र का शत्रु कहा जा रहा है। मैं आपसे अहंकार को दूर करने और तीन कानूनों को निरस्त करने का आग्रह करता हूं।
भाजपा ने अपने सांसदों को जारी किया व्हिप
भाजपा ने अपने राज्यसभा सांसदों को सरकार के स्टैंड का समर्थन करने के लिए 8 फरवरी से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।
विपक्षी सांसदों ने स्पीकर को लिखा पत्र
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को 10 विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने गुरुवार को पत्र लिखकर कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर हालात भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे हैं और किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी है।
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल, द्रमुक, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस समेत कई पार्टियों के 15 सांसद गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने गए थे पर उनको किसानों से नहीं मिलने दिया गया।
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