November 21, 2024
BHU Cardio

BHU में स्वास्थ्य सुविधाओं पर ग्रहण: Cardiology department के 41 बेड पर साल भर से लगा ताला

पूर्वांचल का एम्स जाना जाने वाला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल चिकित्सालय खुद गंभीर रूप से बीमार हो चला है।

डाॅ.अजय कृष्ण चतुर्वेदी
BHU Medical facilities:
पूर्वांचल का एम्स जाना जाने वाला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल चिकित्सालय खुद गंभीर रूप से बीमार हो चला है। अगर ये कहें कि अब इस अस्पताल के निजीकरण का प्रयास शुरू हो चुका है तो गलत न होगा। इस अस्पताल से जुड़ी जांच सुविधाएं निजी हाथों में जा चुकी हैं। लिहाजा जांच कराना अब महंगा होना लाजमी है। इससे भी गंभीर कि यहां सारी सुविधा होने के बावजूद गंभीर हृदय रोगियों को बेड न मिलने से निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। हालांकि इस मसले पर ह्रदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो ओम शंकर ने मुहिम छेड़ दी है।

साल भर में 21 हजार से ज्यादा मरीजों को बैरंग लौटाया गया

पूर्वांचल ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के मरीज सर सुंदरलाल अस्पताल में इलाज कराने आते हैं। मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सुपर स्पेशियालिटी विंग का निर्माण कराया। खुद उसका उद्घाटन किया। हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो ओम शंकर बताते हैं कि सुपर स्पेशियालिटी विंग के निर्माण के बाद हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रो, यूरोलाजी सहित एक दर्जन विभाग पुरानी बिल्डिंग से यहां शिफ्ट किए गए।

प्रो ओम शंकर के अनुसार अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने अपनी मनमानी करते हुए इन विभागों के लिए आवंटित बेड पर ताला जड़ दिया। प्रो शंकर साल भर से हृदय रोग सहित अन्य विभागों के लिए आवंटित बेड संबंधित विभागों को सौंपने की मांग कर रहे हैं। इसकी खातिर कुलपति तक से पत्राचार किया पर नतीजा कुछ नहीं निकला।

अब आंदोलन की चेतावनी

कोई कार्रवाई न होता देख प्रो शंकर ने अब आंदोलन की चेतावनी दी है। आंदोलन के तहत आमरण अनशन तक को चेताया है। फिलहाल उन्होंने विश्वविद्यालय और अस्पताल प्रशासन को तीन महीने का अल्टीमेटम दिया है।

हृदय रोग विभाग को आवंटित हैं 41 बेड

प्रो शंकर के अनुसार सुपर स्पेशियालिटी विंग में हृदय विभाग को 41 बेड आवंटित हैं। विभाग के पास पहले से 45 बेड थे। विभागाध्यक्ष का कहना है कि चिकित्सा अधीक्षक कहते हैं कि पहले पुराने 45 बेड सरेंडर करें फिर 41 बेड दिया जाएगा। प्रो शंकर का कहना है कि हाल के दिनों, खासकर कोविड-19 के बाद हृदय सहित अन्य रोगों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। लोग चलते फिरते, व्यायाम करते कालकवलित हो रहे हैं। ऐसे बेड और बढाने की जगह आवंटित बेड पर ताला लगा दिया गया है। वो कहते हैं कि 12 विभागों के लिए सुपर स्पेशियालिटी विंग में आवंटित बेड चिकित्सा अधीक्षक ने मेडिसिन और सर्जरी को देने का फैसला किया है।

चिकित्सा राज्य मंत्री को दी गलत रिपोर्ट

वो बताते हैं पिछले दिनों जब ये बातें मिडिया में आईं तो केंद्रीय चिकित्सा राज्य मंत्री जांच को आज थे। मगर तब आईएमएस निदेशक ने उनसे भी सच छिपा लिया। कहा कि सब कुछ सही है। बेड जरूरतमंद विभागों को दिया जा रहा है।

मनमानी के लिए विधान तक दरकिनार

प्रो शंकर का आरोप है कि चिकित्सा अधीक्षक ने अपनी मनमानी के लिए विश्वविद्यालय के विधान तक को दरकिनार कर अलग से नियम बना दिए जिसका कोई औचित्य नहीं।

एकेडमिक काउंसिल का गठन नहीं

उन्होंने बताया कि न केवल अस्पताल अपितु विश्वविद्यालय प्रशासन भी मनमानी पर उतारू है। इसके लिए एकेडमिक काउंसिल तक का गठन नहीं किया जा रहा है। डर है कि एकेडमिक काउंसिल के रहते मनमानी नहीं चल पाएगी।

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