Hampi Mandir replica : मुम्बई की तर्ज पर दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे ‘द हाट ऑफ आर्ट’ एग्जीबिशन में दक्षिण भारत में स्थित ‘हम्पी’ सभी ध्यान आकृष्ट कर रहा था। ‘हम्पी’ पत्थर का बना रथ वास्तुकला का अद्भुत नमूना है जिसकी प्रतिकृति फाइबर एवं पत्थर साथ मिला कर कलाकार अंजना पाण्डेय और उनकी टीम ने बनाया है। रथ के आकार का हम्पी मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि मान्यता के मुताबिक जब राम लक्ष्मण के साथ सीता को ढूंढने निकले थे, तब राम बाली और सुग्रीव से मिलने यहां आए थे।
अंजना पाण्डेय के स्क्ल्पचर हम्पी की मुक्त कंठ से सराहना
‘द हाट ऑफ आर्ट’ एग्जीबिशन में प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता विंदू दारा सिंह ने अंजना इनोवेशन की ओर से लगाई गई अंजना पाण्डेय के स्क्ल्पचर हम्पी की मुक्त कंठ से सराहना की। 1.50 टन की इस कलाकृति को बनाने में अंजना के मुताबिक 7 माह का वक्त लगा। अंजना बताती हैं कि 50 रुपए के नए नोट पर भी हम्पी रथ का चित्र है। हम्पी कर्नाटक की तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित प्राचीन गौरवशाली साम्राज्य विजयनगर का अवशेष है। यूनेस्को ने भारत में स्थित विश्व विरासत का दर्जा दिया है।
हम्पी नाम कन्नड़ शब्द हम्पे से पड़ा
वर्तमान में भी हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के तमाम अवशेष मौजूद होने के कारण इतिहास और पुरातत्व के लिहाज से हम्पी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल में इसे पम्पा क्षेत्र, भास्कर क्षेत्र, हम्पे, किष्किंधा क्षेत्र नाम से जाना जाता है। हम्पी नाम कन्नड़ शब्द हम्पे से पड़ा है और हम्पे शब्द तुंगभद्रा नदी के प्राचीन नाम पम्पा से आया था। अंजना बताती है कि उन्होंने मंदिर के शिल्प पर काफी शोध किया। उसके बाद उसका निर्माण शुरू किया गया। इस दौरान पढ़ा कि विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हरिहर राय और बुक्का राय दो भाईयों ने किया। यह काफी सम्पन्न राज्य था, बुद्धिमान तेनालीराम इन्हीं के दरबार में थे।
हम्पी खंडहर में तब्दील
इस साम्राज्य का विस्तार मौजूदा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के इलाकों तक था, मुगलों के आक्रमण से विजयनगर साम्राज्य नष्ट होने के साथ हम्पी भी खंडहर में तब्दील हो गया। हम्पी अपने वास्तु के लिए काफी प्रतिष्ठित है। ‘हम्पी’ एशिया का सबसे बड़ा खुले स्मारकों वाला गुम हुआ शहर है।
भारत की शानदार वास्तुकला
मूलत: गोरखपुर शाहपुर की निवासी अंजना पाण्डेय, फिलहाल नोएडा में निवास करती है। अंजना पाण्डेय कहती हैं कि,‘भारत की शानदार वास्तुकला में वास्तव में कुछ लुभावना है जिसने हमें हमेशा आकर्षित किया है। जटिल नक्काशी, भव्य संरचनाएं, बारीकियों पर ध्यान – ये सभी मिल कर एक अद्वितीय और विस्मयकारी अनुभव बनाते हैं। यह भारतीय वास्तुकला के प्रति गहरा प्रेम और प्रशंसा है जिसने हमें आश्चर्यजनक हम्पी रथ बनाने के लिए प्रेरित किया। यह राजसी संरचना भारतीय शिल्प कौशल के वास्तविक सार और हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाली समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है। रथ का प्रत्येक तत्व भारत की सुंदरता और आत्मा का प्रतीक है। ..और हमें उम्मीद है कि इस रचना के माध्यम से, हम भारतीय वास्तुकला के लिए अपने प्यार और प्रशंसा को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं।’
फिलहाल अंजना की इच्छा है कि इसे भारत या राज्य सरकार किसी खास स्थान पर स्थापित कराए। ताकि कला की कद्र के साथ भारतीय अपनी वैभवशाली विरासत को जाने-समझे और गौरवांवित महसूस करें।
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