ग्लोबल वॉर्मिंग (Global warming) के खतरे को कम करने और जल के संरक्षण में वृक्षों के सबसे अहम माना जाता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार (UP Government) ने वृक्षारोपण पर विशेष जोर दिया है। सरकार ने प्रदेश में 24 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है, जिसे लगभग पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही पर्यावरण और जल संरक्षण का ख्याल रखते हुए सरकार ने राज्य के सभी 75 जिलों में 100 साल से अधिक आयु के वृक्षों की गिनती करने का भी फैसला लिया है। ऐसे वृक्षों को सरकार राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित करेगी। सूबे के बुलंदशहर में इस तरह के चार वृक्षों की गिनती हुई है।
इस पार्क में है प्राचीन धरोहर
बुलंदशहर स्थित पार्क मांडू हसनगढ़ी में वन विभाग ने वन चेतना केंद्र का निर्माण किया है। जहां अनेक सुंदर वृक्ष है। गंगा के तट पर स्थित ये स्थल कई ऐतिहासिक और प्राचीन विरासत का गवाह रहा है।
मांडव ऋषि का आश्रम के पास हैं वृक्ष
प्राचीन धरोहरों की बात करें तो यहां मांडव ऋषि का आश्रम है। मांडव ऋषि एक महान तपस्वी थे, जो खांडव वन की अपनी कुटिया में रहते थे। मांडव ऋषि के आश्रम के साथ लगा एक बरगद का पेड़ 100 से भी ज्यादा आयु का है। अब इसे प्रदेश सरकार ने विरासत वृक्ष घोषित किया है।
इस बारे में बुलंदशहर के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार बताते हैं कि इसका मुख्य उद्देश्य है कि उन वृक्षों का संरक्षण किया जाए और अगर उन्हें विरासत वृक्ष घोषित करने पर लोगों का ध्यान जाएगा और उसका संरक्षण होगा, इसके अलावा पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा। 100 साल से अधिक आयु के वृक्षों में दो बरगद, एक पीपल और एक खिरनी का पेड़ है। चारों गंगा किनारे वाले क्षेत्र में है। ये बुजुर्ग वृक्ष धार्मिक स्थलों के पास है, जिन्होंने यहां की प्रकृति और जल संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
इन मानकों पर होगा चयन
100 वर्ष से पुराना होना चाहिए वृक्ष
धार्मिक, पौराणिक परम्पराओं व विशेष व्यक्तियों से जुड़ा हो।
विलुप्त हो रही प्रजाति का हो और पूजा होती हो।
भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण संस्थान (बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया) से संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल हो।
सामुदायिक भूमि पर हो और कोई विवाद न हो।
1500 से अधिक बुजुर्ग विरासत वृक्षों का चयन
वहीं इस योजना के तहत सरकार ने जिलों में 100 साल की उम्र वाले वृक्षों को नहीं काटने का भी फैसला लिया है। आंकड़े के मुताबिक यूपी वन विभाग ने अब तक 1500 से अधिक बुजुर्ग विरासत वृक्षों का चयन किया है।
पुराने पेड़ जहां पर्यावरण संरक्षण में सहायक होते हैं वहीं बड़ी संख्या में ये पक्षियों का बसेरा भी होते हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां इन पेड़ों को खास बनाती है। ऐसे में इन पेड़ों को सहेजने से पक्षियों को भी सहेजा जाएगा, साथ ही विरासत वृक्ष के जरिए प्रदेश में इको टूरिज्म के साथ ही जैव विविधता को भी बढ़ावा देने की योजना है। वैसे इन वृक्षों ने हमारी प्रकृति, प्राकृतिक धरोहर, और जल को बचाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसलिए ऐसे वृक्ष को धरोहर वृक्ष घोषित किया जा रहा है।
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