Gyanvapi conflict: बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के साइंटिफिक सर्वे को लेकर 21 जुलाई को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए बनारस के एक कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने की मांग की गई थी।
दोनों पक्ष की दलीलें हुई पूरी 21 जुलाई को कोर्ट सुनाएगा फैसला
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमने वजूखाना को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक जांच की मांग अदालत के सामने रखी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। जैन ने कहा कि उनका तर्क है कि काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को केवल पूरे मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच से ही हल किया जा सकता है।
क्या है ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद?
5 अगस्त, 2021 को कुछ महिलाओं ने वाराणसी की लोकल कोर्ट में एक याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर समेत कई विग्रहों में पूजा करने की अनुमति देने और सर्वे कराने की मांग की थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने यहां सर्वे करने की अनुमति दी थी। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।
सुप्रीम कोर्ट पूर्व में सर्वे पर लगा चुका है रोक
वाराणसी की प्रसिद्ध ज्ञानवापी मस्जिद में मिली कथित शिवलिंग को लेकर काफी दिनों से विवाद है। बीते 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के वुजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया था। मस्जिद के अधिकारियों ने वैज्ञानिक जांच पर आपत्ति जताई। यह दावा किया कि जिस चीज को ‘शिवलिंग’ कहा जा रहा है वह वास्तव में एक फव्वारा है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे संवदेनशील मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। कोर्ट को बेहद सतर्क होकर जांच करने या आदेश देने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने सुनवाई की है। बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे।
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